SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भुगते उसीकी भूल ऑपरेशन करते दर्दी मर गया तो भूल किसकी? चीकनी मिट्टीमें बूट पहनकर चलने पर फिसल जाये उसमें दोष किसका ? मुए, तेरा ही ! समझ नहीं थी कि नंगे पैर धूमेंगे तो उँगलियोंकी पकड़ रहती और गिर नहीं पडते । इसमें किसका दोष ? मिट्टीका बटका कि अपना खुदका ?! भुगते उसीकी भल ! इतना पूर्णरूपसे समझमें आ जायेगा तो भी मोक्षमें ले जायेगा। यह जो लोगोंकी भूल देखते है वह तो बिलकुल गलत है । खुदकी भूलकी वजहसे निमित्त मिलता है । यह तो फिर जीवित निमित मिलने पर उसे काटने दौड़ेगा और काँटा लगेगा तो क्या करेगा ? चौराहे पर काँटा पड़ा हो, हजारो लोग गुज़र जायें पर किसीको नहीं लगता लेकिन चंदुभाई निकले और कांटा आड़ा पड़ा हो फिर भी उसके पैरमें घुस जाये । "व्यवस्थित" तो कैसा है ? जिसे काँटा लगना हो उसीको लगेगा । सभी संयोग एकत्र कर देगा । पर उसमें निमित्त का क्या दोष? भुगते उसीकी भूल था अन्य किसीकी भूल नहीं थी। प्रश्नकर्ता : ये विद्यार्थी शिक्षकके साथ धृष्टतापूर्ण व्यवहार करते है, वे कब सुधरेंगे ? दादाश्री : जो भूलका परिणाम भुगते उसकी भूल है । ये गुरु ही घनचक्कर पैदा हुए है इसलिए शिण्य घष्ठता करते हैं । ये विद्यार्थी तो सयाने ही है, मगर गुरु और माँ-बाप घनचक्कर पैदा हए है । और बजर्ग अपनी पुरानी परंपरा नहीं छोडते फिर बच्चे घृण्टता करेंगे ही न ? हाल माँ-बापका चारित्र्य ऐसा नहीं होता कि बच्चे घृण्टता करते हैं । भूलोके बारेमें दादाजीकी समझ ! "भुगते उसीकी भूल" यह कानून मोक्षमें ले जायेगा । कोई पूछे कि मैं अपनी भूलें कैसे खोचूँ ? तो हम उसे सिखायेंगे कि तुझे कहाँ-कहाँ भुगतना पड़ता है ? वह तेरी भूल । तेरी क्या भूल हुई होगी कि ऐसा भुगतना पड़ा ? यह ढूँढ निकालना यह तो सारा दिन भुगतना पडता है, इसलिए ढूँढ निकालना चाहिए कि क्या क्या भूलें हुई है! भुगतनेके साथ ही मालूम हो जायेगा कि यह भूल हमारी । यदि हमसे भूल होगी तभी हमें टेन्शन (तनाव) पैदा होगा न । हमें सामनेवालेकी भूल किस तरह समझमें आती है ? सामनेवालेके होम (शुद्धात्मा) और फोरीन (पुद्गल) अलग नज़र आते हैं । सामनेवाले के फोरीन में भूलें होंगी, गुनाह होंगे तो हम कुछ नहीं कहते हैं, मगर होममें कुछ होने पर हमें उसे टोकना पड़ता है । मोक्षमार्गमें कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। भीतर बिना पारकी बस्ती है उसमें कौन भूगतता है यह मालूम होना चाहिए । किसी समय अहंकार भुगतता है, तो वह अहंकार की भूल है । किसी बार मन भगतता है, तो वह मनकी भूल है । कभी चित्त भुगतता है यदि कोई आदमी दवा छिडडककर खाँसी खिलाये तो उसके कारन तकरार हो जायेगी, मगर जब मिर्चीकी छौंककी वजहसे खाँसी आये तो तकरार होगी? यह तो पकड़ा जाये उससे लड़े । निमित्तको काटने दौड़े। पर यदि हकीक़त जाने कि करनेवाला कौन और क्यों होता है, तब फिर रहेगी कुछ झंझट? तीर चलानेवालेकी भलनहीं है । तीर जिसे लगा उसकी भूल है । तीर चलानेवाला तो जब पकड़ा जायेगा तब उसकी भूल होगी । अभी तो तीर लगा वह लपेटमें आया है । जो पकड़ा गया वह पहले गुनहगार । वह तो जब पकड़ा जायेगा तब उसकी भूल कहलायेगी । बच्चोंकी ही भूलें निकालें सभी ! आपकी पढ़ाई चल रही थी तब कई बाधा आई थी ? प्रश्नकर्ता : बाधाएँ तो आई थी। दादाश्री : वे आपकी भूलकी वजहसे ही । उसमें (23) मास्टरजी
SR No.009579
Book TitleBhugate Usi Ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2001
Total Pages20
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size307 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy