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________________ १० भुगते उसीकी भूल प्रश्रकर्ता : बहुत देरके बाद समझमें आये ऐसा है । भुगते उसीकी भूल महा मुसीबतमें आ पड़ोगे। गुणा करनेका शौक हो तो दःखके करना, किसी एक भाईने घौलमें दिया तो सोचना कि उसने मुझे दूसरी भी दी होती तो अच्छा होता, ऐसा दूसरा देनेवाला मिलता तो अच्छा होता । इससे हमारा ज्ञान बढ़ता जायेगा । लेकिन यदि दुःखका गुणा करना नहीं रूचे तो मुलतवी रखना, मगर सुखके गुणा तो करना ही नहीं ! बनें प्रभुके गुनहगार ! भुगते उसीकी भूल । वह भगवानकी भाथा । और यहाँ चोरी करनेवालेको लोग गुनहगार माने । अदालत भी चोरी करनेवालेको ही गुनहगार माने। अर्थात यह बाहर के गुनाह रोकने के लिए लोगोंने अंदरूनी गुनाह शुरु कियें है । अबे, मुए भगवानके गुनहगार हो ऐसे गुनाह शुरू किये है । अबे, मुए भगवानका गुनहगार मत होना । यहाँका गुनाह हो जायें तो कोई हर्ज नहीं है, गुनहगार मत होना । आपकी समझमें आया यह ? यह तो झीनी बात है, समझमे आ गई तो काम हो जायेगा । यह "भुगते उसीक भूल" तो कई लोगोंकी समझमें आ गई है । क्योंकि ये कुछ ऐसे-वैसे लोग है ? बहुत विचारशील लोग है। हमने एक बार समझा दिया है अब सासको बहू दु:ख दिया करती हो और सासने यह सुन (19) रखा हो कि "भुगते उसीक भूल" इसलिए बार बार दुःख देने पर वह तुरन्त समझ जायेगी कि मेरी भूल होगी तभी वह दुःख देती है न ? इससे निबटारा आ जायेगा वर्ना निबटारा कैसे आयेगा ? और बैर बढ़ता रहेगा । समझना मुश्किल मगर वास्तविक! अन्य किसीकी भूल नहीं है । जो कुछ भूल है, वह हमारी ही है । हमारी भूलकी वजहसे यह सब विद्यमान है । इसका आधार क्या ? तब कहे, "हामारी भूल" । दादाश्री : देरसे समझमें आये तब भी अच्छा है । एक ओर गात्र ढीले पडते जायें और दूसरी ओर यह समझमें आता जाये । कैसा काम बन जाता ? अगर गात्र मजबूत हो तब समझमें आता तो ? मगर देरसे भी समझमें तो आया, देर आये दुरुस्त आये । ___ हमने "भुगते उसीकी भूल" सूत्र दिया है न. वह सभी शास्त्रोंका सार दिया है, सुत्रक रूपमें ! यदि आप मुंबई जाये तो वहाँ हजारो घरोंमें लिखा पाओगे, वह सूत्र, बड़े बड़े अक्षरों में, "भुगते उसीकी भूल" इसलिए जब गिलास फूट जाये उस वक्त बच्चे आमने सामने देखकर कह दें । "ओ मम्मी, आपकी भूल है " बच्चे भी समझ जाये हाँ । मम्मीसे कहें, "तेरा मुँह लटका हुआ है यह तेरी ही भूल है ।" कढ़ी खारी हो गई तब हमें देखना चाहिए कि किसका मुँह बिगड़ा है ? हाँ, उसकी भूल । दाल उलट गई तो देख लेना, किसने मुँह बिगाडा? जिसने बिगाडा उसकी भूल । सब्जीमें मीर्च ज्यादा हो गई तो हम सभीके मुँह देखले कि किसने मूंह बिगाड़ा है ? जिसने बिगाडा उसकी भूल । भूल किसकी है ? "भूगते उसकी भूल"! सामनेवालेका मूंह आपको फूला हुआ नज़र आये तो वह आपकी भूल है । उस समय उसके "शुद्धात्मा" को याद करके उसके नामकी माफि माँग- माँग करे तत ऋणानुबंधसे छूटकारा होगा । पत्नीने आपकी आँखोमे दवाई डाली और आपक आँखे दुःखने लगी तो वह आपकी भूल । जो सहन करे उसकी भूल । ऐसा वीतराग कहते हैं और ये लोग सभी (20) निमित्तको काटने दौड़ते है । अपनी भूलोकी ही मार पड़ रही है । पत्थर फेंका उसकी भूल नहीं है, जिसे लगा उसकी भूल हैं ! आपके इर्द-गिर्दके बाल-बच्चोंकी कैसी भी भूले अथवा दुण्कुत्य होंगे पर उसका असर आप पर नहीं होता तो आपकी
SR No.009579
Book TitleBhugate Usi Ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2001
Total Pages20
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size307 KB
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