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________________ षोडशं परिशिष्टम् ] [१५३ आसंनी तहिं ऊघडिय, पाथरकेरिय खाणि । निपनु गडारउ मूलिगओ, देउलु चडिउ प्रमाणि ॥२८॥ रूपा सरिसउ समतुल ए, दसहि दिसावरि जाइ । पाहणु तहिं आरासणउं, आणिउ तहिं कमठाइ । सरवरु घाटु जो नीपजए, मंदिरु बहु विस्तारि । त आतिसइ दीसइ रूवडउं, नेमिजिणिंद पयारु ।।२९।। ठवणिसोभनदेउ सुतहारो कमठाउ करावइ । सइ तउ मंत्रि तिजपालो जिणबिंबु भरावइ ॥३०॥ भासखंभायति वर नयरि बिंबु निप्पज्जए, रयणमउ नेमिजिणु ऊपम दीजए।। दिसंति कंति रयणकंति सामल धीरा, बहु पंकति बहु सफति जाइ सरीरा ॥३१॥ निवसए बिंबु जो सालह संठिओ, विजयसिणसूरि गुरि पढम पतीठिओ। निपनु परिपूरनु सामलदेउ, धणु तिजपाल जिणि आबुय नेओ ॥३२॥ धवलसुत सुरहि पुत ठविय तहिं रहवरे, खडइ सुहडा सुमुहुआ आबुय गिरवरे। 15 नयरवर गामह माहिहि आवए , सइत भवियहो जिण पहेरावए ॥३३॥ आबुय तलवटे रत्थु पहूतओ, तेणीय ऊवरणीय पाज चडंतओ । थडऊथडइ रहु पाज विसमी खरी, वेगि संपत्त अंबिक्क वर अच्छरी ॥३४।। सानिधि अंबाइय रत्थु चडंतओ देवलवाडए दिणि छठइ पडतओ ॥३५॥ ठवणिआबुय सिहरि संपत्तु देउ पहु नेमिजिणेसरु । वणसइ सवि विहसणहं लग्ग आइउ तित्थेसरु ॥३६।। उच्छंगिहि जुगादिजिणु जिणु पडिलउ ठविजइ । तुहुं गरुयउ निमिनाथ बिंबु तिजपालिहिं कीजइ ॥३७।। हक्कारहु वर जोइसिय पइठह दिणु जोयहु । तेडावहु चउविहहं संघु पुर-पाटण-गामहं ॥३८॥ 20 D:\sukarti.pm5\3rd proof
SR No.009571
Book TitleVastupal Prashasti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages269
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size2 MB
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