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________________ [ 68 ] तृतीय सर्ग सर्ग श्लोक ६४ बाणासुर संग्राम में शम्भु की शक्ति के क्षय की कथा बाणासुर की तपस्या, भाग ६.१८.१७-१८, ८.१०.१९-३० चतुर्थ सर्ग रैवतक पर्वत की कथा-भाग ९,२२, २९.३३ हलधर भाग १०.६६.२३ विन्ध्यपर्वत सूर्यभाग में बाधक कथा महाभा० आदिपर्व २०८.७, १० पञ्चम सर्ग पर्वत का पक्षधारी रूप - अग्निपुराण गरुड़ म्लेच्छ कथा-महाभारत आदि पर्व गोवर्धन पर्वत के ऊपर उठाना-भा० स्क० १०, अ० २४-२६ अष्टम सर्ग समुद्रमंथन से १४ रत्न निकालने की कथा । भा०स्क० ५, अ० ५-८ नवम सर्ग ब्रह्माने संध्या को अपनी मूर्तिबनाया । भविष्य पुराण कुएँ में सिंह की परछाई की कथा - कथासरित्सागर, पञ्चतन्त्र, व हितोपदेश । गोत्रभिद् - अग्निपुराण । एकादश सर्ग शकटभंजन - भागवत - १०। ७ समुद्र मन्थन - मत्स्य, १, ९, २४९,१४ से अन्त तक । वायु० २३, ९०, ५२, ३७, ९२, ९, विष्णु - १, ९, ८०-१११, भागवत -८।६, ७ दधीचि का अस्थिदान - भाग ० ६, अ० ९।१०, महाभा० वनपर्व अ० १०० । नारायण का क्षीरसागर में शेषशय्या पर शयन । भाग० १०. १. १९ घोड़ो के पंख की कथा - 'तुरगाणमपि पक्षा आसन् पश्चात्कनचित्कारणेन देवैः पक्षच्छेदः कारिता इति प्रसिद्धिः ।। प्रलय - मन्वंतरों के अन्त में सृष्टि का लय हो जाना - मत्स्य, २, २२; १४२. ३६ । विष्णु – ६. १. ३। १८ ६६ __३६
SR No.009569
Book TitleShishupal vadha Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajanan Shastri Musalgavkar
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages231
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size63 MB
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