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________________ मानी और वचनपालक। विश्वनाथ महापात्र के शब्दों में—'अविकश्यना क्षमावानतिगम्भीरो महासत्त्वः । स्थेयान्निगूढमानो धोरोपत्तो हदवत: कथितः॥' ( सा० द० ३३२ )। उनके अनुराग की गम्भीरता, करुणाता, कला-विलास-प्रियता, दानशीलता, दृढप्रतिज्ञता आदि के दर्शन इस काव्य में अनेक स्थलों पर हुए हैं। दमयन्ती के प्रति उनका अनुराग गृढ ही रहा, उन्होंने उसे प्रकट न होने देने के लिए एकांत उद्यान-सेवन उचित समझा । उन्होंने दमयन्ती की उसके पिता से याचना भी नहीं की। वचननिर्वाह के लिए, देवों को दान करने के लिए उन्होंने ऐसा दूतकार्य किया, जो स्वयम् उनके लिए, स्वार्थ-विघातक था। उनकी करुणाशीलता हंस-प्रसंग में व्यक्त हुई है। उनकी करुणाशीलता और उदार व्यवहार के कारण ही हस ने उनका दूतत्व स्वीकारा । 'नैषधीयचरित' में क्रमशः उनके चरित का विकास दिखाया गया है, जो काव्य के नाम और 'चरितकाव्यत्व' को प्रमाणित करता है। नल संस्कृत परंपरा के आदर्श नायक हैं, जिनको उदात्तता और महत्ता का चरित-पाठकों पर व्यापक सत्प्रभाव पड़ता है। ( ख ) दमयन्ती-'नाट्यशास्त्र' के रचयिता भरतमुनि के अनुसार सुख की मूल स्त्रियां 'नानाशीला' होती हैं, उनके भिन्न-भिन्न स्वभाव होते हैं । इनके प्रकृत्यनुसारी तीन भेद होते है-कुलीना (आभ्यंतरा ), बाह्या (वेश्या) और कृत शौचा ( बाह्याभ्यंतरा)। आभ्यंतर स्त्री-पात्रों में महादेवी देवियाँ और उनका समस्त परिचारिका-मंडल आता है। दमयन्ती की सखियाँ भी इसी मंडल की आभ्यंतर पात्रियां हैं । 'नैषधीयचरित' की प्रधान पात्री दमयन्ती भी कुलोना नायिका है, अपने कौमार्यकाल में वह 'अन्या' ( अनूठा परकीया ) है, विवाहोपरांत वह 'स्वा' ( विवाहिता, स्वीया ) हो जाती है । नायक-संबंष से वह आरम्भ में विरहोत्कंठिता है, विवाहोपरांत वह प्रिय की प्रिया है । "नैषध' में दमयन्ती को रूप-गुण की दृष्टि से विश्व में सर्वोत्कृष्ट चित्रित किया गया है । उसका नाम ही 'दमयन्ती' इसलिए पड़ा है कि वह अपनी तनुश्री से त्रिलोकी की सुन्दरियों के सौर्याभिमान का दमन करनेवाली है : भुवनत्रयसुभ्र वामसी दमयन्ती कमनीयतामदम् । उदियाय यतस्तनुश्रिया दमयन्तीति ततोऽभिधा दषो । ( न. २१८)।
SR No.009566
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorHarsh Mahakavi
AuthorSanadhya Shastri
PublisherKrishnadas Academy Varanasi
Publication Year
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size74 MB
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