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________________ नायकाऽदि-परिचय कादम्बरीमें चन्द्रापीड धीरोदात्त और अनुकूल नायक है। कादम्बरी परकीया ( कन्या ) और मुग्धा नायिका है। ये दो आलम्बन विभाव हैं। चन्द्र और चन्द्रमा अदि उद्दीपनविमाव हैं। परस्परनिरीक्षण आदि अनुभाव हैं। निर्वेद आदि व्यभिचारिभाव हैं। करुणविप्रलम्भ रस अङ्गी । करुण आदि रस भङ्ग हैं । रीति मुख्यतः गौडी और पाञ्चाली हैं। गुण-ओज और माधुर्य और प्रसाद हैं । गद्य उत्कलिकाप्राय अधिक और चूर्णक भी है। लक्षणधीरोदात्त- "अविकत्यनः क्षमावानतिगम्भीरो महासत्त्वः ।। स्थेयानिगूढमानो धीरोदात्तो वृढवतः कथितः ॥ ( सा० ८०, ३-३२ ) अनुकूल- "अनुकूल एकनिरतः"। ( ३-३७) परकीया- "परकीया द्विषा प्रोक्ता परोढा कन्यका तथा।" ( ३-६६ ) कन्या- "कन्या त्वजातोपयमा सलज्जा नवयौवना ।" (३-६७) मुग्धा- प्रथमाऽवतीर्णयौवनमदनविकारा रतौ वामा। कथिता मृदुश्च माने समधिकलज्जावतो मुग्धा ॥" ( ३-५८) ओज ओजश्चित्तस्य विस्ताररूपं दोप्तत्वमुच्यते ॥ ८-४ ॥ माधुर्य- चित्तद्रवीभावमयो हादो माधुर्यमुच्यते। संभोगे करुणे विप्रलम्भे शान्तेऽधिकं क्रमात् ॥ ८-२ ॥ प्रसाद चित्तं व्याप्नोति यः क्षिप्रं शुष्कन्धनमिवाउनलः॥८-७॥ स प्रसादः समस्तेषु रसेषु रचनासु च । उत्कलिकाप्राय- अन्यत् ( उत्कलिकाप्रायम् ) दीर्घसमासाढयम् ॥ ६-३३२ ॥ चूर्णकम्- तुर्यमल्पसमासकम ॥ ६-३३२ ॥
SR No.009564
Book TitleKadambari
Original Sutra AuthorBanbhatt Mahakavi
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1979
Total Pages172
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size14 MB
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