SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (ट) माँसाहारी पशुओं को नहीं पालता। रास्ते पर चलते हुए नीचे देखकर चलता है कि किसी जीव की विराधना न हो। (ठ) कोई भी चीज़ रखता-उठाता है तो देख-भाल कर ये क्रियाएं करता है। खान-पान बनाता है अथवा खाता है तो देख-शोधकर ही बनाता-खाता है। मर्यादा के भीतर की वस्तुएँ ही काम में लेता (२) अचार, मुरब्बा, बहुत दिनों का पापड़ आदि वस्तुएँ काम में नहीं लेता क्योंकि इन चीजों में जीवों की उत्पत्ति होती है। (ण) रेशमी, ऊनी वस्त्र, और चमड़े की बनी वस्तुओं-कपड़ों- जूतों आदि को काम में नहीं लेता क्योंकि ये सब जीव-हिंसा से उत्पन्न होते हैं। ऐसे प्रसाधन भी काम में नहीं लाता जिनके निर्माण में जीवों की हिंसा होती है। सत्याणुव्रत : झूठ नहीं बोलता है; यद्यपि अभी पूर्ण सत्य का पालन नहीं कर पा रहा है, तथापि ऐसा झूठ नहीं बोलता जिससे दूसरे का नुकसान हो जाये, बुरा हो जाये। सत्य अणुव्रत में निम्नलिखित बातें गर्भित हैं : (क) व्यापार में किसी को नकली या मिलावटी चीज नहीं देता। (ख) किसी को ठगता नहीं है। (ग) झूठ बोलकर ज्यादा दाम नहीं लेता। (घ) नाप-तोल के साधन नकली नहीं रखता। (ङ) अन्याय-रूप इंसाफ नहीं करता। (च) किसी के विरुद्ध झूठा मुकदमा दायर नहीं करता। (छ) झूठी गवाही नहीं देता। किसी की गुप्त बात को ईर्ष्या अथवा स्वार्थवश प्रकट नहीं करता। किसी से कोई चीज़ अथवा धन आदि लेकर बाद में मुकरता नहीं। म
SR No.009559
Book TitleParmatma hone ka Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherDariyaganj Shastra Sabha
Publication Year1990
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy