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________________ ७४ पदार्थ विज्ञान नही है । आकाशको आंख नही देखती, फिर भी वह है तो अवश्य । इसलिए यहाँ आकाशका अर्थ केवल रंगविहीन लम्बाई चौटाईवाला सस्थान मात्र समझना, अन्य कुछ नही । 'जीव पदार्थ अमूनिक है' इसका यह अर्थ नही कि उसका कोई आकार नही । वल्कि इसका यह अर्थ है कि जीव किसी भी भौतिक इन्द्रियमे नही जाना जा सकता। फिर भी वह मन द्वारा विचार कर जाना जा सकता है, इसलिए अमूर्तिक होते हुए भी आकारवान् है। अमूर्तिकका अर्थ आकाररहित नही होता बल्कि इतना ही होता है कि वह इन्द्रियोसे नही जाना जा सकता। ९. प्रदेश ____ अब प्रश्न यह होता है कि यदि जीवका कोई आकार है अर्थात् उसकी कोई लम्बाई, चौडाई, मोटाई है तो बताइए कि वह कितना बडा है ? यह जाननेके लिए हमे उसे मापना पडेगा। मापनेके लिए । किसी गज़की आवश्यकता होती है। जीवको मापनेवाले उस गज़का नाम 'प्रदेश' है । अत जीवका परिमाण जाननेसे पहले हमे प्रदेशका परिमाण जानना पड़ेगा। लोकमे बडी तथा छोटी हर प्रकारकी वस्तु पायी जाती है, इसलिए वस्तुओको मापनेका गज़ ऐसा होना चाहिए, जिससे कि बड़ी तथा छोटी सभी वस्तुएँ मापी जा सकें। छोटे गजसे तो बडी वस्तु मापी जा सकती है, परन्तु बडे गज़से छोटी वस्तु नही मापी जा सकती इसलिए हमारा गज छोटेसे छोटा होना चाहिए । लोकमे सबसे छोटा पदार्थ परमाणु है । किसी पृद्गल स्कन्धको अर्थात् किसी भौतिक पदार्थको कल्पना द्वारा बराबर तोडते चले जानेपर उसका जो अन्तिम भाग प्राप्त हो, जिसका कि आगे टुकडा न किया जा सके उसे 'परमाणु' कहते हैं । भले ही वह हाथोमे पकडा या आंखोंसे
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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