SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८ पदार्थ विज्ञान जीवके आकारके सम्बन्धमे आगे बताया जायेगा। यहां तो केवल इतना ही बताना इष्ट है कि वह अमूर्तिक है. फिर भी उसका आकार अवश्य है और वह शरीर जैसा ही है। जिस प्रकार कि घट व घटाकाश । घट या घडा तो मतिक होनेके कारण दिखाई देता है, परन्तु जो उसके अन्दर पोलाहट या साली जगह है वह भी तो कुछ आकारवाली है ही। उसे ही घटाकाश कहते है। उसका आकार वैसा ही है जैसा कि घटेका। अमूर्तिक पदार्थोका आकार भी इसी प्रकारसे जानना। वास्तवमे आँखका कार्य रूप अर्थात् रग देखना है, आकार देखना नही। इसलिए इन्द्रियोंके धर्म बताते हुए आंखका विषय रंग बताया जाता है आकार नही। आकार ही दो प्रकारका हैरगवाला तथा बिना रगवाला। रगवाला आकार आँखको दिखाई देता है और विना रंगवाला नही। रगवाले आकारमे भी आँख तो रग ही देखती है आकारको नही। आकार तो रंगके साथ साथै' सहज दिखाई दे जाता है। ___आकाशके जितने भागमे तथा ऊपर-नीचे, दायें-बायें जहाँ-जहाँ रग दिखाई देता है, आकाशका उतना भाग ही उस रंगका आकार कहलाता है, रग स्वय आकार नहीं है, क्योकि रग तो रंग है। वहां वास्तवमे तो आँखने रग ही देखा आकाश नही। क्योकि यदि आंख उसे देख सकती तो जहाँ रग नही है उस आकाशको भी देख लेती। देखो ऊपर आकाशमे अब कुछ दिखाई नही देता परन्तु वर्षाके पश्चात् इन्द्रधनुष दिखाई दे जाता है। वहाँ इन्द्रधनुष क्या है ? क्या कोई उठाई-धरी जानेवाली वस्तु है ? आकाराने दिखाई देनेवाला एक आकार मात्र है। वास्तवमे आकाशका उतना भाग, जिसमे व्याप्त परमाणु सूर्यकी विरछी किरणोको प्राप्त करके रग-बिरगे हो जाते हैं उसका नाम ही इन्द्रधनुष है। वहाँ
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy