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________________ २ पदार्थ सामान्य २३ और इसीलिए उसका विनाश भी नही होता । मेज़, कुरसी आदि पदार्थ बनाये जाते हैं इसलिए उनका विनाश भी हो जाता है । ये सब उस सत्को केवल परिवर्तनशील पर्यायें या अवस्थाएं ही हैं, कोई मूलभूत नया पदार्थ नही। परमाणु मूलभूत पदार्थ है। वह स्वय ही होता है बनाया नही जाता। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु आदि महाभूत भी उसके ही प्राकृतिक रूप हैं जो अनन्तातन्त परमाणुओके सघात या मेलसे बनते हैं । कैसे, सो बात आगे बतायी जायेगी। इन चार महाभूतो तथा पांचवें आकाश तत्त्वके मिलनेसे जीवोके शरीर बनते हैं; वृक्षोके शरीर रूपसे लकडी, पृथ्वीके शरीर रूपसे पत्थर व लोहा आदि तथा त्रस शरीर रूपसे चमडा-हड्डी आदि बनते है। मनुष्य न परमाणु बना सकता है और न इन सर्व पदार्थोमे-से कुछ भी बना सकता है । वह तो केवल इन प्राकृतिक शरीरोके रूपमे उत्पन्न हुए पदार्थों को तोड-जोड़कर घट-पट आदि अनेक पदार्थ ही बनाता है । मानव द्वारा बनाये हुए ये घट महल, कपडा, जेवर, मेज, कुरसी आदि सर्व पदार्थ वास्तवमे उन प्राकृतिक पदार्थोमे-से ही बनाये गये है। इन सब पदार्थोंमे सत् क्या है, इसकी खोज करने जायें तो पता चलेगा कि न तो मेज़ कुरसी आदि मानवकृत पदार्थ सत् हैं क्योकि वे नये बनाये गये है और विनष्ट भी हो जाते हैं, तथा न हो पत्थर, लकडी आदि प्राकृतिक पदाथ सत् हैं क्योकि वे भी उत्पन्न होते हैं और विनष्ट हो जाते है। पृथिवी, जल, अग्नि, वायु ये चार महाभूत भी सत् नही हैं क्योकि ये भी परमाणुके मेल या सघातसे बने है तथा बराबर टूटते-फूटते रहते है। इन सबमे वास्तवमे परमाणु ही सत् है जिसमे न तो किसीका सयोग हुआ है और न वह तोड़ा जा सकता है, जो न कभी उत्पन्न हुआ है और न कभी उसका
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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