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________________ पदार्थ विज्ञान आपके अनेको काम सिद्ध न कर सकता। देखिए, आम्रफल खानेसे आपकी भूख भी मिटती है, आपको स्वादका मज़ा भी आता है और उसकी गन्धसे आपकी नासिका भी तृप्त होती है। वृक्षपर लटके हुए उसका सुन्दर रूप देखकर आपके मुंहमे पानी भर आता है, और उसको हाथमे लेने पर उसके चिकने, कठोर अथवा नरम आदि स्पर्शोपरसे आप उसके कच्चे पक्केपनका अनुमान भी करते हैं आम यद्यपि एक है, परन्तु उसमे अनेक गुण पाये जाते हैं। उसमे स्पर्श भी है, रस या स्वाद भी है, गन्ध भी है और कोई रूप भी है, तथा इसी प्रकार क्षुधानिवृत्ति आदिक अनेको शक्तिये भी हैं । इसी प्रकार स्वर्णमे भारीपन, पीलापन, चमक दमक आदि अनेको गुण हैं। अग्निमे धधकनापना, प्रकाशकपना, दाहकपना अर्थात् जलानेकी शक्ति, पाचकपना अर्थात् खाना पकानेकी शक्ति, उष्णता आदि अनेको गुण है। आपमे जानना, देखना, सुनना, विचारना, सुख-दु.ख आदि महसूस करना, भागना-दौड़ना, प्रेम करना व क्रोध करना आदि अनेको गुण पाये जाते हैं । इस जगत्के प्रत्येक पदार्थमे एक दो नही एक साथ अनेको गुण पाये जाते हैं, किसी पदार्थमे कुछ और किसी पदार्थमे कुछ। बस इसी परसे हम यह सिद्धान्त निकाल सकते हैं कि पदार्थ गुणोका समूह है। __ समूह अनेक प्रकारका होता है। अनाजके दानोंके समूहको वोरोमे भरकर उसको एक अनाजकी वोरी कहते हैं या अनेक लकडियोको बांधकर उसको एक लकड़ीका गट्ठा कहते हैं। अथवा डाली, फल, फूल व पत्तोके समूहको वृक्ष कहते हैं इत्यादि । परन्तु पदार्थमे जो गुणोका समूह ऊपर कहा गया है वह इस प्रकारवाला नही है । अनाजके दानो के अथवा लकड़ीके गट्ठ के समूहमे तो वे दाने तथा लकड़ियां पृथक्-पृथक् हैं, उन्हे एकत्रित करके, बोरीमे भरकर अथवा वाँधकर एक अनाजकी वोरी या एक लकड़ीका गट्ठा बनाया
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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