SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २ पदार्थ सामान्य ११ उत्पत्ति । आमका कच्चेसे पक्का होना, इसमे कच्चेपनका विनाश हुआ और पक्केपनकी उत्पत्ति हुई । इसी प्रकार आपका बालकसे वृद्ध होना । इसमे बालकपनका नाश हुआ और वृद्धपने की उत्पत्ति हुई। इसी प्रकार स्तम्भके जीर्ण हो जानेमे उसके पहले रूप व आकार का विनाश हुआ और नया रूप व आकार उत्पन्न हुआ। इसीको हम सैद्धान्तिक भाषामे इस प्रकार कह सकते है कि पुरानी अवस्थाका विनाश और नयी अवस्थाकी उत्पत्तिका नाम ही परिवर्तन है। अब प्रश्न होता है कि यह उत्पत्ति व विनाश क्या आगे-पीछे होता है ? नही, जिस समय पहली अवस्थाका विनाश होता है उसी समय अगली अवस्थाकी उत्पत्ति होती है। या यो कह लीजिए कि पहली अवस्थाके विनाशका नाम ही नयी अवस्थाकी उत्पत्ति है और नयी अवस्थाकी उत्पत्ति ही पहली अवस्थाका विनाश है। जैसे अन्धकारका विनाश ही प्रकाशकी उत्पत्ति है और प्रकाशकी उत्पत्ति ही अन्धकारका विनाश है । अथवा आममे कच्चेपनका नाश ही पक्केपनकी उत्पत्ति है और पक्केपनकी उत्पत्ति ही कच्चेपनका विनाश है। इस प्रकार पहली अवस्थाका विनाश तथा अगली अवस्थाकी उत्पत्ति युगपत् एक ही समयमे होती है । अतः कह सकते हैं कि एक ही समयमे पुरानी अवस्थाका विनाश और नयी अवस्था की उत्पत्ति होनेका नाम ही परिवर्तन । __यहाँ भी इतना ध्यानम रखना चाहिए कि दो अवस्थायें कभी भी एक साथ नही रह सकती। आमका कच्चापन व पक्कापन दोनो एक साथ नही रह सकते। बालकपन व बूढापन दोनो एक साथ नहीं रह सकते । अत कह सकते है कि एक समय एक ही अवस्था रह सकती है दो नहीं। अवस्थाको आगममे 'पर्याय' कहते हैं।
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy