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________________ पदार्थ विज्ञान है। देखो आज सवेरे आपने शेव की और गामको जाकर पुनः कुछ-कुछ बाल मुँहपर प्रकट हुए। मै पूछता है कि क्या १० घण्टोंके पश्चात् वे बाल एकदम वाहर निकल आये या सवेरेसे ही धीरेधीरे बढ़ते जा रहे थे ? उत्तर स्पष्ट है कि एकदम वढने असम्भव है, ये तो उस समयसे ही वढते जा रहे हैं जबकि सेफ्टीरेज़र उस स्थानसे हटा था । उसी प्रकार यद्यपि यह वस्त्र छह महीने पीछे जीर्ण हुआ है परन्तु वास्तवमे उसी समयसे जीर्ण होता चला आ रहा है जबसे कि मशीनपरसे बनकर उतरा है। इसी प्रकार आप ६० वर्षमे बालकसे वृद्ध हुए परन्तु वास्तवमे प्रतिदिन ही नही प्रतिक्षण आप वराबर वृद्ध होते चले जा रहे है। इसी प्रकार यह स्तम्भ हजार वर्ष पश्चात् जीर्ण हुमा, परन्तु वास्तवमे जिस समयसे कारीगरने इसे बनाकर छोडा है उसी समय से प्रतिक्षण जीर्ण होता चला जा रहा है । इस प्रकार जो परिवर्तन हमको स्थूल दृष्टिसे दिखाई देता है वह असख्य तथा अनन्त क्षणिक सूक्ष्म परि. वर्तनोका समूह है। प्रत्येक पदार्थ प्रतिक्षण बदलता है यही परिवर्तन शब्दका अर्थ है और यही पदार्थका स्वभाव है। इसी प्रकार विश्वका भी स्वभाव यही है, क्योकि विश्व पदार्थोंका समूह है अन्य कुछ नही । ६ उत्पाद व्यय ध्रौव्य स्वभाव __ पदार्थों के इस परिवर्तनको और भी सूक्ष्म दृष्टिसे देखनेपर एक और भी महान् सिद्धान्त की सिद्धि होती है। जो कि व्यक्तिके जन्म व मरणका तथा विश्वको उत्पत्ति व प्रलयका मूल आधार है। देखिए पहली अवस्था या रूपको छोडकर नयी अवस्था या रूप बन जाना यही तो परिवर्तन है, इसके अतिरिक्त और क्या ? छूटनेका नाम है उस अवस्थाका विनाश और बननेका नाम है
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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