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________________ अजीव पदार्थ सामान्य १ पदार्थ विज्ञानकी पुनरावृत्ति, २ अजीव-सामान्य, ३ अजीव विशेष, ४ मूर्तिक तथा अमूर्तिक, ५ षट् द्रव्योमे पांच अजीव । १. पदार्थ विज्ञान की पुनरावृत्ति ____ अहा हा। कितना विचित्र है पदार्थोंका यह अनन्त सग्रह रूप विश्व । कितनी महान है यह एक भूलभुलैया, बडे-बड़े बुद्धिशाली भी उलझकर रह जाते हैं इसमे, और जीवन-भर छटपटाते रहकर भी इससे निकलने नही पाते। पदार्थों के इस घोल-मेलमे ही छिपा हुआ है जीवनका सार, जीवनका रहस्य, जो केवल विश्लेषण करके जाना जा सकता है और जानकर यदि कोई चाहे तो उसे पृथक् भी कर सकता है। बिलकुल उस प्रकार जिस प्रकार कि एक वैज्ञानिक किसी पदार्थको विश्लेषण ( analysis ) पूर्वक पढकर तथा जानकर उसमे-से अनेको प्रयोजनभूत तत्त्व निकाल लेता है, और भौतिक जगत्को हर्ष प्रदान करता है, उसी प्रकार जीवनको तथा विश्वको विश्लेषणपूर्वक पढकर तथा जानकर इसमे से अनेको प्रयोजनभूत तत्त्व निकाले जा सकते हैं और आध्यात्मिक जगत्को हर्ष प्रदान किया जा सकता है। जीवनको तथा विश्वको विश्लेषणपूर्वक पढानेके लिए ही यह पदार्थ-विज्ञान सम्बन्धी विषय चल रहा है। ___ 'विश्व' पदार्थोका समूह है। पदार्थ जीव तथा अजीव दो जातियोके हैं । जो जान-देख सके उसे जीव कहते हैं । वह वृक्ष तथा
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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