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________________ १२८ पदार्थ विज्ञान ढके हुए योनिस्थानोमे उत्पन्न होते है । गर्भज सर्व ही जीवोका तथा बीजसे उत्पन्न होनेवाले वृक्ष आदिका योनिस्थान गुप्त या ढका हुआ रहता है, क्योकि ये माताके गर्भ या वीजके भीतर उत्पन्न होते है। मेढक तथा भिर्र ततैये आदिका योनि स्थान खुला हुआ रहता है, क्योकि ये खुले आकाशके नीचे या छत्तो आदिमे पैदा होते हैं। चीटी आदिकोका योनिस्थान आधा खुला व आधा ढका हुआ है क्योकि ये बिलो आदिकोमे पृथिवीके नीचे या किसी इंट-पत्थर आदिके नीचे उत्पन्न होती हैं । कुछ जीव गर्म स्थानोमे उत्पन्न होते हैं, कुछ ठण्डे स्थानोमे उत्पन्न होते है और कुछ थोडा ठण्डा और थोडा गर्म ऐसे स्थानोमे उत्पन्न होते है, गर्भाशय मे उत्पन्न होनेवाले जीव गमं योनिके जानना, क्योकि गर्भाशयमे माताके शरीरकी गरमी रहती है । पृथिवीके नीचे या इंट-पत्थर आदिके नीचे नमीमे उत्पन्न होनेवाले सभी विकलेन्द्रिय तथा वनस्पति ठण्डी योनिके जानना, क्योकि ऐसे स्थानोमे ठण्ड होती है । अथवा बरसातमे उत्पन्न होनेवाले जीव ठण्डी योनि है । गरमीके मौसममे जलपर उत्पन्न होनेवाले सर्व जीव गर्म-ठण्डी योनिके समझें । कुछ जीव सचित्त योनिमे अर्थात् जीवित प्राणी के शरीरमे उत्पन्न होते हैं । कुछ अचित्त योनिमे अर्थात् मिट्टी आदि जड़ पदार्थोंमे उत्पन्न होते हैं और कुछ सचित्त-अचित मिली-जुली योनिमे उत्पन्न होते हैं । गर्भज जीव सचित्तयोनि के है क्योकि माताका शरीर जीवित है । पृथिवी के भीतर अथवा बिलोमे अथवा भिर्र आदिकोके छत्तोमे उत्पन्न होनेवाले जीव अचित्त योनिके हैं, क्योकि ये सभी स्थान जड हैं । शरीरमे उत्पन्न होनेवाले कृमि आदिक मिली-जुली योनिके है, क्योकि यद्यपि शरीर जीवित है परन्तु वह उनकी उत्पतिका मूल आधार नही है । वे जीव स्वतन्त्र
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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