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________________ ११८ पदार्थ विज्ञान क्षुद्र कीटाणु । पृथिवीपर विचरण करनेवालोको थलचर कहते हैं, जलमे चलने-फिरने तथा रहनेवालोको जलचर और आकाममे चलनेफिरने व रहनेवालोको नभचर कहते हैं। इस प्रकार सचार तथा निवासकी अपेक्षा भी जीवके तीन भेद हैं-थलचर, जलचर व नभचर। १२ सूक्ष्म जन्तु विज्ञान ___ ये सर्व जीवके भेद-प्रभेद इतने ही हो जितने कि हम नित्य आँखोसे देखते है, सो बात नहीं है । ये तो अत्यन्त स्थूल शरीरवाले जीव है। इनके अतिरिक्त भी बहुतसे क्षुद्र तथा सूक्ष्म जीव लोकमे तथा इस वायुमण्डलमे ठसाठस भरे पड़े हैं, जिनका जानना अत्यन्त आवश्यक है। आओ। हम तुम्हे सूक्ष्म दृष्टि प्रदान करें, जिससे कि तुम जैव-सृष्टिकी विचित्रताको देख सको। __कुछ जीवोके शरीर तो इतने बड़े हैं जो कि मीलोंसे दिखाई दे जाते हैं जसे-वृक्ष । कुछके शरीर इतने बड़े हैं जो कुछ निकट आनेपर दिखाई देते हैं जैसे-मनुष्य, पशु, पक्षी आदि । कुछ ऐसे हैं जो अत्यन्त निकट आनेपर दिखाई देते हैं जैसे-चीटी, मक्खी आदि। कुछ इतने क्षुद्र हैं कि अत्यन्त निकट आनेपर भी साधारण दृष्टिसे नही देखे जा सकते, बड़े गौरसे देखो तभी दिखाई देते हैं जैसे-अति क्षद्र वे मच्छर जो कदाचित आपके शरीरपर बैठकर जब काटते हैं, तभी उस स्थानपर अत्यन्त गौरसे देखनेपर आपको बालके अग्रभाग-जैसा क्षुद्र सफेद या काले रंगका एक जीव चलता हुआ दिखाई देता है। इनसे भी आगे कुछ इतने क्षुद्रहोते है जो अत्यन्त गोरसे देखनेपर भी दिखाई नहीं देते, परन्तु सूक्ष्म निरीक्षण यन्त्र (माइक्रोस्कोप) की सहायतासे स्पष्ट दिखाई दे जाते हैं। इनसे भी आगे कुछ इतने क्षुद्र होते है जो यन्त्र द्वारा भी
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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