SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६५ reva- ~ - ~ पन्चम अधिकार। (प्रहलाद ) रावण, जरासंध ये नव नारायणोंके नाम तथा त्रिपृष्ठ द्विपृष्ठ स्वयंभू पुरुषोत्तम प्रतापी नरसिंह पुंडरीक, दत्त लक्ष्मण, कृष्ण ये नव प्रति नारायणोंके नाम है । नारायण दोनों ही अर्ध चक्रवर्ती होते हैं। ये निदानसे उत्पन्न होते हैं । अतएव नरक गामी होते हैं। विजय, अचल, सुधर्म, सुप्रभ, स्वयंप्रभ, आनन्दी, नन्द मित्र रामचन्द्र और बलदेब ये नव बलभद्र है। इनकी उत्पत्ति निदान रहित होती है अतः ये जिन दीक्षा धारण करते है ये काम जीत और उर्ध्व गामी होकर स्वर्ग या मोक्ष प्राप्त करते हैं। भीमवली, जितशत्रु रुद्र (महादेव ) विश्वानल सुप्रतिष्ठ, अवल, पुण्डरीक, अजित धर, जितनाभि, पीठ सात्यक ये ग्यारह रुद्र हैं। ये ग्यारहवें गुण स्थानमें गिरकर नर्कमें ही गये हैं। _भीम, महाभीम, रुद्र, महारुद्र काल, महाकाल, उर्मख नरमुख, उन्मुख, ये नौ नाम नारकियोंके हैं। इनकी आयु भी नारायणोंकी भांति कही गयी है। ___ बाहुवली, अमित तेज, श्रीधर, शान्तभद्र, प्रसेनजित, चन्द्रवर्ण, अग्निमुक्त, सनत्कुमार, वत्सराज, कनक प्रभ, मेषवर्ण शान्तिवली, सुदर्शन (वसुदेव) प्रद्युम्न, नागकुमार श्रीपाल, जंवू स्वामी ये चौबीस काम देवोंके नाम हैं। चौबीस तीर्थंकर, बारह चक्रवर्ती, नौ नारायण, नौ प्रति नारायण नौ बलभद्र ये तिरसठ शलाका पुरुष तथा चौबीस कामदेव नौ नारद, चौबीस तीर्थंकरोंकी माताएं चौदह कुलकर ग्यारह रुद्र ये एक सौ उनहत्तर महापुरुष कहलाते हैं । इनमेंसे कितने ही धर्मके प्रभाव
SR No.009550
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy