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________________ गौतम चरित्र। से मोक्षगामी हुए और आगे होंगे । राजन् ! यह बात सर्वथा सत्य है। श्रेणिक ! यह तो दुषम-सुषम कालका स्वरूप बतलाया, अब 'दुषम कालका स्वरूप कहता हूं. सुन । जब 'वर्द्धमान स्वामी मोक्ष पधारेंगे, उस समय, सुरेन्द्र नागेन्द्र नरेन्द्र सब उनका कल्याणोत्सव सम्पन्न करेंगे । उस कालमें धर्मकी प्रवृति होती रहेगी। किन्तु जब केवली भगवानका धर्मोपदेश बन्द हो जायगा, तब उस समयके मनुष्य दुष्ट और अधर्मरत होंगे। वे क्रूर तथा प्रजाको कष्ट देने वाले होंगे । उनका हृदय सम्यग्दर्शनसे शून्य होगा, हिंसा रत होंगे झूठ बोलेंगे एवं ब्रह्मचर्यसे सर्वथा रहित होंगे। वे क्रोधी, मायाचारी, परस्त्री लोलुपी, परोपकारसे रहित और जैन धर्मके कट्टर विरोधी होंगे । मांस, मद्य, मधुका सेवन करने वाले, विवादी इष्ट वियोगी, अनिष्ट संयोगी और कुवुद्धि धारण करने वाले होंगे। उस समय उनके पाप कर्मोके उदयसे सदा युद्ध होते रहेंगे। धान्य कम होगा और यज्ञोंमें गोवंध करने वाले पतित दूसरों .को भी पतित करते रहेंगे। पंचमकालके आरंभकी ऊंचाई सात. हाथ की होगी, पर घटते २ वह दो हाथकी रह जायगी। आरंभ के मनुष्योंकी आयु एक सौ चौवीस वर्षकी होगी पर वह भी अन्तमें वीस वर्षकी हो जायगी। दुषम-दुषम कालमें शरीरको ऊंचाई एक हाथकी होगी और आयु केवल बारह वर्षकी रह 'जायगी, ऐसा जिनेन्द्र भगवानने कहा है। उस कालके लोग 'सर्पवृत्ति धारण कर अनेक कुकर्म करेंगे। चे सर्वथा धनहीन और स्थानहीन होंगे। उनमें आचरणकी प्रवृत्ति नहीं रहेगी और
SR No.009550
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
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