SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 882
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सकराम खींचने से श और रोमांकासातवियात १८२१). चरकसंहिता-मा०टी०। केशवरीक्षा । अथास्यकेशलोमान्यायच्छेततस्यचेत्केशलोमान्यायम्यमानानिप्रलुच्येरनचेद्वेदयेत्परासुरितिविद्यात् ॥७॥ रोगी मनुष्यके केश और रोमोंकी भी परीक्षा करनी चाहिये ।निस रोगीके केश या रोम खींचनेसे उखडजायं और उस रोगीको किवित् पीडा भी प्रवीत न हों उसको गतायु जानना ॥ ७॥ उदरपरीक्षा। तस्यचेदुदरेशिराः प्रदृश्येरन, श्यावताम्रनीलहारिद्रशुक्ला वास्युःपरासुरितिविद्यात् ॥८॥ जिस रोगीके पेटपर काली, लाल, पीत और श्वेत नसें दीखनेलगें उसको भी गतप्राण जानना चाहिये ॥८॥ नखपरीक्षा। तस्यचेन्नखावीतमांसशोणिताःपकजाम्बववर्णाःस्युःपरासुरितिविद्यात् ॥ ९॥ जिस रोगी नख मांसरहित तथा रुधिररहित होनाय और पकेहुये जामुनके समान काले वर्णके होजायें उसको भी गतप्राण जानना चाहिये ॥ ९ ॥ अंगुलीपरीक्षा। अथास्यांगुलीरायच्छेत्तस्यचेदंगुलयआयम्यमानानचेत्स्फुटेयुः परासुरितिविद्यात् ॥ १० ॥ इसके उपरांत इसकी अगुलियोंकी भी परीक्षा करनी चाहिये । यदि रोगीको अंगार्लय खचिनेसे शब्द नहीं करें तो उस रोगीको भी मरणासन्न जानना चाहिये१० भवतिचात्र । एतान्स्पृश्यान्बहून्भावान्यःस्पृशन्नावबुध्यते। आतुरेनससम्मोहमायुानस्थगच्छति ॥ ११ ॥ इति चरकसंहितायामिन्द्रियस्थान परिमर्षणीयामिंद्रियं समाप्तम् ॥३॥ यहांपर अध्यायके उपसंहारमें श्लोकहै जो वैद्य इन अनेक प्रकारके स्पृश्यभावीको स्पर्शद्वारा जानलेताहै वह रागीके भायुज्ञानमें मोहको प्राप्त नहीं होता ॥११॥ इति श्रीमहापचरफ इन्द्रियस्थाने भाषाक़िायांपरिमर्षणीयमिन्द्रियनाम तृतीयोऽध्यायः ॥३॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy