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________________ सूत्रस्थान-अ० ३. (२९) द्वितीयाध्यायका उपसंहार। . तत्रश्लोकाः॥अष्टाविंशतिरित्येतायवाग्वःपरिकीर्तिताः। पंचकर्माणिचाश्रित्यप्रोक्ताभैषज्यसंग्रहः ॥ ३२ ॥ पूर्वमूलफलज्ञानहेतोरुक्तंयदौषधम् । पञ्चकर्माश्रयज्ञानहेतोस्तत्कीतितपुनः ॥ ३३ ॥ स्मृतिमानयुक्तिहेतुज्ञोजितात्माप्रतिपत्तिमान् । भिषगौषधसंयोगैः चिकित्सांकर्तुमर्हति ॥ ३४ ॥ ___ इति भेषजचतुष्कऽपामार्गवण्डुलायो नाम द्वितीयोऽध्यायः ॥ २ ॥ इस प्रकार इस अध्यायमें अटूठाईस प्रकारकी यवागुओंका और पंचकमके आश्रयीभूत औषाधियोंका कथन कियाहै।जो पहले मूलफलके ज्ञानार्थ कहआये. पंचकर्ममें आश्रय होनेके कारण वे यहां फिर कहेगये, स्मृतिमान् जिद्रिय, औषध और रोग तथा युक्तिको जाननेवाला वैद्य औषधियोंके संयोगसे चिकित्सा करे ॥ ३२ ॥ ३३ ॥ ३४ ॥ इति श्रीमहर्पिचरकप्रणीतायुवेदसंहितायां पटियालाराज्यांन्तर्गतटकसालनिवासिवद्यपञ्चानन वैद्यरल पं० रामप्रसादेवैद्योपाध्यायकृतप्रसादन्याख्यटोकायामपामार्ग तण्डुलीयो नाम द्वितीयोध्यायः ॥२॥ . . तृतीयोऽध्यायः। -oc00अथातआरस्वधीयमध्यायंवक्ष्यामः इति हस्माह भगवानात्रेयः। अब हम आरग्वधीय अध्यायकी व्याख्या करेंगे ऐसे भगवान् आत्रेय कहने लगे ॥१॥ __कुष्ठः किलास आदिपर लेप । आरग्वधःसैडगजःकरलोवासागुड़चीमंदनहरिद्रे । श्याह्नः सुराबःखदिरोधवश्चनिम्बोविडङ्गकरवीरकत्वक् ॥१॥ ग्रन्थिश्वभौजॉलशुनःशिरीषः सलोमशोगुग्गुलुकृष्णगन्धे । फणि- .
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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