SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 855
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शारीरस्थान-१० ८. (७९७) रखनी चाहिये । और यथोक्तगुणसंपन्न तथा इससे स्नेह रखनेवाली स्त्रियें और सुहद्गण इसकी सवप्रकारसे सेवामें सावधानांसें लगे रहें । इस प्रकार दश वारह दिन व्यतीत करना चाहिये । इसके अनन्तर भी दान देना, मंगलकर्म, आशीर्वाद लेना, वेदध्वनि,गीत और वाजे आदि शुभकर्मीको करतरेहना चाहिये । अथर्ववेदके जाननेवाले ब्राह्मण दोनों समय इस बालककी रक्षाके लिये और प्रसूताकी रक्षाके लिये दोनों समय कल्याणकारी शान्तिपाठ और हो मादिक किया करें।इस प्रकार रक्षा. विधिका कथन कियागया ॥ १०१॥ प्रसूतिकाका आहारविहार वर्णन । सूतिकान्तुखलबुभुक्षितांविदित्वास्नेहपाययेत्प्रथमपरमयाशच्या सर्पिस्तैलंवसांमज्जानवासात्म्दीभावमभिसमीक्ष्यभिषकापिप्पलीपिप्पलीमूलचव्यचित्रकशृङ्गवेरचूर्णसहितस्नेहपीतवत्याश्चत. पिस्तैलाभ्यामभ्यज्यवेष्टयेदुदरंमहतावाससातथातस्यानवायुरुदविकृतिमुत्पादयत्यनवकाशत्वात् । जीणेतुस्त्रहपिप्पल्यादिभिरेवासद्धांयवागूसुस्निग्धांद्रवांमात्रशःपाययेतोभयकालचोष्णोदकनपरिषेचयेत्प्राक्नेहयवागूपानाभ्यामाएवंपञ्चरात्रंसप्तरात्रञ्चानुपाल्यततःक्रमेणाप्ययेत्स्वस्थवृत्तमतत्सूतिकायाः॥ १०२.॥ प्रसूता स्त्रीको जिससमय क्षुधा लगे तो उसको उसकी सामर्थ्यानुसार उत्तम मात्रासे स्नेहपान करावे।और उसका सात्म्य विचार करके जिस देशमैं उसके लिये जो हितकारी हो सो घृत तेल अथवा वसा या मज्जा पान करावे । तथा पीपलामूल, चव्य चित्रक और सोंठ इनका चूर्ण मिलाकर स्नेहपान कराना चाहिये ।और उस स्त्रीके पेटपर घृत और लैल दोनों मिलाकर चोपड देवे । इसके उपरान्त पेटपर कोई लम्बा कपडा लपेट देवे। ऐसा करनेसे उसके पेटमें वायु प्रवेश होकर अवकाश न मिलनेसे विकार नहीं करसकता। जब स्नेहपान कियाहुआ जीर्ण होजाय फिर पीपल, पिपलामूल, चव्य, चित्रक और सोंठ यह मिलाकर सिद्ध कीहुई चिकनी यवागू. पतलीसी बनाकर मात्रानुसार दोनों समय पीनेको देवे । स्नेह और यवागू पान करनेके पहिलेही प्रसूता स्त्रीको गर्मजलसे परिषेक करादेना चाहिये । फिर पांच या सात रात्रिपर्यन्त इसी नियमको पालन करे और फिर क्रमसे इसको पुष्ट करताजाय । यह प्रसूताके स्वास्थ्य अर्थात् तन्दुरुस्त अवस्थाके क्रममा वर्णन किया है॥ १०२॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy