SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 844
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चरकसंहित-भा० टी०। श्चानुलोमःसम्पद्यतेमूत्रपुरीषेचप्रकृतिभूतेसुखेनमार्गमनुपद्ये. . तचमनखानिचमार्दवमुपयान्तिबलंवर्गौचोपचीयेतेपुत्रंचेष्टस म्पदुपेतंसुखिनंसुखेनैषाकालेनप्रजायतइति ॥ ७५ ॥ .. इसप्रकार प्रथम महानसे लेकर नवम महीने पर्यन्त जो इस क्रियाका वर्णन किया है इसके करनेसे गर्भवती स्त्रीके कूख, कमर, पसली और पीठ यह नरम रहती हैं। तथा धारण किया गर्भ सुखपूर्वक पुष्ट होता है।एवं वायुका अनुलोम होता है।मल मूत्र का त्याग ठीक समयपर उचित गीतसे होजाताहै नख और त्वचा नरम रहती हैं। बल वर्णकी वृद्धि होती है । और उत्तम सुन्दर शरीरवाले, बलयुक्त पुत्रको मुखपूर्वक ठीकसमयपर प्रसव करती है ॥ ७५ ॥ सूतिकागारकी विधि । प्राक्चैवास्यानवमान्मासात्सूतिकागारंकारयेदपहृतास्थिशर्कराकपालंदेशंप्रशस्तरूपरसगन्धायांभूमौप्रारद्वारमुदग्द्वारंवा॥७॥ गर्भको नवम महीना प्रवेश होनेसे प्रथमही सूतिकागार (प्रसूतिस्थान ) बनाना - चाहिये । वह ऐसी उत्तम भूमिमें हो जिसमें हड्डी, कंकड,ठिकरे आदि न हों तथा ... रूप,रस,गन्धयुक्त पवित्र भूमि हो उस भूमिमें पूर्व या उत्तरको द्वार रखकर प्रस. के लिये घर बनवावे ॥ ७६ ॥ तत्रबैल्वानांकाष्ठानांतिन्दुगुदानांभल्लातकानांवारुणानांखदिराणांवा यानिचान्यान्यपिब्राह्मणाः शंसयुरथर्ववेदविदस्तदूसनालेपनाच्छादनापिधानसम्पदुपेतवास्तुविद्यात् । हृदययोगेनाग्निसलिलोलूखलवर्चःस्थानस्नानभूमिमहानसमृतुमुखञ्च७७ उस स्थानमें बिल्व, तेंदु, गोंदनी, भिलावा,वर्णवृक्ष और खैरकी लकटियें तथा अन्य सर्व प्रकारकी लकड़ियोंको मँगावे । फिर अथर्ववेदको जाननेवाला ब्राह्मण जों २.वस्तुयें बतावे उन सबको संचय करे और वस्त्र, आलेपन तथा बिछानेके कपडे .और ओटनेके कपडे आदि वस्तुओंको उस घरमें स्थापन करे और जिन २ पदा- ' की गर्भवती इच्छा करे अथवा उसके लिये उचित हों उनउनको समयके अनुः ‘सार जिस ऋतुमें जैसे द्रव्योंकी आवश्यकता हो वैसे २ द्रव्य, अग्नि,जल,मोखली मल मूत्रके त्यागनेका स्थान,स्नान करनेका स्थान,भोजन बनानका स्थान इन सब को जिस ऋतुमें जिसप्रकार उचित हो बनावे ॥ ७७ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy