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________________ शारीरस्थान-१०८ (७६५) अतिवालामतिवृद्धांदर्घिरोगिणीमन्येनवाविकारेणोपसृष्टांवर्जयेत् ॥९॥ अत्यन्त छोटी अवस्थाकी, अत्यन्त वृद्धा, जिसके शरीर और योनिपर अत्यन्त बाल हों अथवा और किसी विकारसे युक्त हो ऐसी स्त्री मैथुनमें त्याज्य है॥ ९॥ पुरुषेऽप्येतएवदोषाः।अतःसर्वदोषवर्जितौस्त्रीपुरुषासंसृज्येया. ताम् ॥ १०॥ पुरुषमें भी यदि इसीप्रकार कोई दोष हो तो उसको भी मैथुनमें त्याज्य जानना इसलिये संपूर्ण दोषोंसे रहित स्त्री पुरुषोंको संतानकी कामनासे मैथुन करना चाहिये ॥ १०॥ स्त्रीगमनविधि। सातहर्षोमैथुनेचानुकूलाविष्टगन्धंसास्तीर्णंसुखंशयनमुपकल्प्यमनोज्ञहितमशनमशित्वादक्षिणपादेनपुमान्वामपादेनन्त्री चारोहेत्तत्रमंत्रप्रयुञ्जीत (अहिरसिआयुरसिसर्वतः प्रतिष्ठासिधातात्वादधातुविधातात्वादधातुब्रह्मवर्चसाभवेदिति ॥त्रझाबृहस्पतिर्विष्णुःसोमःसूर्यस्तथाश्विनौ । भगोऽथमिशवरु गौपुत्रवीरंदधातुमे) इत्युक्त्वासंवसताम् ॥ ११ ॥ १२॥ १३ ॥ 'स्त्री और पुरुष हर्षसहित मैथुनाभिलाषी प्रीतिपूर्वक दोनों सुन्दर सुसजित ऐस' य्यापर जिसमें तकिया, स्वच्छ चद्दर, तथा गद्दा विछा हो मनको प्यारी लगने. वाली हो ऐसी शय्यापर पुरुष दहिने पांवसे और स्त्री पहिले वामपावसे आरोहित होवे (इन स्त्री पुरुषोंके उसदिन हित भोजन करना चाहिये । फिर उस शय्यापर कानों वैठकर इस मन्त्रको पढे"अहिरास आयुरासे सर्वतः प्राष्टिास" आदि"पुर चार दधातु भे"पर्यन्त। ऊपरके मूलमें लिखेहुए मंत्रको पढकर शयन करे११..१३॥ उत्तम पुत्र उत्पन्न करनेकी विधि । साचेदेवमासीतवहन्तमवदातंहर्यक्षमोजस्विनंशचिंसत्त्वसम्पन्नपुत्रामच्छेयमिति । शुद्धस्नानात् प्रभृत्यस्येमन्थमवदातं यवानांमधुसीपभ्यासंसृज्यश्वेतायागोःसरूपवत्सायाःपयसालोड्यराजतकांस्यवापानेकालेकालेसप्ताहंसततंप्रयच्छेत्पाना
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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