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________________ ( ७५४) चरकसंहिता - भा० टी० । नहीं होसकता । क्योंकि प्रत्यक्ष देखने में आता है कि काल और अकालकी व्यव स्थामें जिस २ समय जैसे २ भले या बुरे आहारविहारादि किये जाते हैं उनका वैसाही बैसा फल होता है । जैसे इस व्याधीमें आहारे अथवा औषधका यह काल है, चिकित्साका यह समय है, व्याधीका यह समय हैं अथवा असमय है । इसीप्रकार लोक में भी देखा जाता है कि अपने ठीक समयपर ऋतुकालमें वर्षा होना और अकालमें वर्षा होना, शीतकालमें शीतपडना और अकालमें शीत पडना, उष्णकालमें उष्णता होनी तथा अकालमें उष्णता होनी । समयपर फूलफल आना और बेसमय फूलफल आना । इस प्रकार काल और अकाल युक्तिसिद्ध है। इसलिये दोनों हो सकते हैं । कालमें भी मृत्यु होती है और अकाल मृत्यु भी होसकयह दोनों एक नहीं मानी जासकती । यदि अकालमृत्यु न होती तो सबही अनुष्य आयुके प्रमाणसे निश्चित समयपर मराकरते ॥ ३१ ॥ एवं गते हिताहितज्ञानमकारणं स्यात्प्रत्यक्षानुमानोपदेशाश्चाप्रमाणस्युःयेप्रमाणभूताः सर्वतन्त्रेषुयैरायुष्याण्यनायुष्याणिचोपलभ्यन्तेवाग्वस्तुमेतद्वादमृषयो मन्यन्तेनाकालमृत्युरस्तीति३२॥ यदि अकालमृत्यु न होती तो हिताहित जानने की कोई आवश्यकता न रहती और प्रत्यक्ष तथा अनुमान एवम् आप्तोपदेश इन तीनों प्रमाणोंकी भी प्रमाणता नहीं रहेगी । तथा ऋषियोंके शास्त्रों में जो आयुष्य और अनायुष्यकर्त्ता प्रयोग आदि कथन किये गये हैं वह सब बकवादमात्र होजायगे । इसलिय कालमृत्यु और अकाल मृत्यु दोनों होती हैं ऐसा निश्चय है ॥ ३२ ॥ आयुका प्रमाण । | वर्षशतंखलुआयुषः प्रमाणमस्मिन् कालेतस्यानिमित्तंप्रकृतिगु'णात्मसम्पत्सात्म्योपसेवनञ्चेति ॥ ३३ ॥ वह कालमृत्यु आर अकालमृत्यु इसप्रकार है कि इससमय आयुका प्रमाण १०० वर्षका है उस सौवर्षकी आयु होने का कारण मातापिताके रज वीर्यकी उत्तमता, प्रकृतिके गुण और आत्मकृत कर्मोंका उत्तम होना, सात्म्यका सेवन है अर्थात् इन सबके उत्तम होनेसे आयु सौवर्षकी होती है । उस सौवर्षकी आयुको भोगकर मरनेको कालमृत्यु कहते हैं। इससे विपरीत अकालमृत्यु होती है ॥ ३३ ॥ अध्यायका उपसंहार | शरीरंयद्यथा तच्चवर्तते क्लिष्टमामयैः । यथाक्लेशविनाशश्ञ्चयातियेचास्पधातवः॥ ३४ ॥ वृद्धिहासोतथाचैषांक्षीणानामौषध
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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