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________________ शारीरस्थान-अ० ५. . (७३३)। यथाखलुब्राह्मीविभूतिलोंकेतथापुरुषेऽप्यान्तरास्मिकीविभूतिब्रह्मणोविभूतिलोंकेप्रजापतिरन्तरात्मनोविभूतिःपुरुषेसत्यम्। यस्त्विन्द्रोलोकसपुरुषेऽहङ्कारःआदित्यास्तुआदानरुद्रोरोजः सोमःप्रसादोवसवःसुखमाश्विनौकान्तिमरुंदुत्साहोविश्वेदेवाः सर्वेन्द्रियाणिलवेन्द्रियार्थाश्चतमोमोहोज्योतिज्ञानम् । यथा लोकस्यस्वर्गादिस्तथापुरुषस्यगर्भाधानंयथाकतयुगमेवंबाल्य.म् । यथात्रेतातथायौवनं यथाद्वापरस्तथास्थाविय॑यथाकलिरेवमातुर्थयथायुगान्तस्तथामरणमित्येवमनुमानेनानुक्तानामंपिलोकपुरुषयोरवयवविशेषाणामग्निवेश ! सामान्यविद्याताया जैसे जगत्में ब्राह्मीविभूति है उसी प्रकार पुरुषमें भी आत्मिकी विभूति है।जैसे जगत्में ब्रह्मकी विभूति प्रजापति है उसी प्रकार अन्तरात्माकी विभूति सत्त्व है। जगत्में जैसे इन्द्र है उसीप्रकार पुरुषमें अहंकार है जैसे जगत्में सूर्य है वैसेही पुरुषमें आदान (ग्रहणशाक्त) है । जैसे जगत्में रुद्र है वैसेही पुरुषमें क्रोध है ।जैसे जगत्में चन्द्रमा है उसीप्रकार पुरुषमें प्रसन्नता है जैसे जगदमें वसु है उसीप्रकार पुरुषमें मुख है।जैसे जगतमें अश्विनीकुमार हैं वैसे दूसरी ओर पुरुषमें कांति है। जैसे एक ओर जगत्में वायु देवता है वैसेही दूसरी ओर पुरुषमें उत्साह है । जैसे जगत्में देवता हैं उसीप्रकार पुरुषमें इन्द्रियें और इंद्रियार्थ हैं । जैसे जगतमें तम है उसी कार पुरुषमें मोह है। जैसे एकओर जगदमें ज्योति है उसीप्रकार दूसरीओर पुरुषमें ज्ञान है । जैसे जगत्में स्वर्गादि हैं वैसेही पुरुषमें रतिसुख है । जैसे जगत्में सत्ययुग है उसीप्रकार पुरुषमें बाल्यावस्था है । जैसे जगत्में त्रेतायुग है वैसेही पुरुष यौवनावस्था है जैसे जगत्में द्वापर है उसीप्रकार पुरुषमें बुढापा है । जैसे जगदमें कलियुग है उसीप्रकार पुरुषमें रोगग्रस्त अवस्या है । जैसे एकओर जगत्की प्रलय होताहै पैसेही दूसरीओर पुरुषका मरण होताहै। हे अग्निवेश!यह दोनों धारा पुरुष - और जगदमें वरावर देखने में आती हैं इनके सिवाय और भी सम्पूर्णभाको इसीप्रकार जगत् और पुरुषमें समान जानलेना चाहिये ॥ ४ ॥ अग्निवेशका प्रश्न । इत्येवंवादिनभगवन्तमात्रेयमग्निवेशउवाच। एवमेतत्सर्वमन१ अनुक्सानामित्यनेन मतिसतिः कामो गन्धर्व इत्यादि। देवता हैं उसी वायु देवता लोकमार है और जैसे जगम कक्ष में कोध है की पुरुष में
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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