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________________ (६३०) चरकसंहिता-भान्टी०। होनेसे उनके संधि और मांस नरम तथा शिथिल होतेहैं और मल, मूत्र तथा. पसीना अधिक आतेहैं पित्तफे विन अर्थात् दुर्गंधयुक्त होनेसे उनके वक्षस्थल, कांख, मुख, मस्तक और शरीरसे दुर्गंध आतीहै । पित्तके चरपरे गुणसे और अम्लताके कारण अल्पशुक्र और अल्प मैथुन एवम् अल्प संतान होतीहै। इसप्रकार इन गुणोंवाले होनेसे पित्तप्रकृति मनुष्य मध्य आयु तथा: मध्यम बलवाले और ज्ञान, विज्ञान तथा धनसामग्रीवाले होते हैं ॥ ११२॥ वातप्रकृतिके लक्षण । वातस्तुरूक्षलघुचलबहुशीघ्रशीतपरुषविशदस्तस्यरौक्ष्यादातलारूक्षापचिताल्पशरीराःप्रततरूक्षक्षामभिन्नसक्तजर्जरस्वरा जागरूकाश्चभवन्तिलघुत्वाच्चलघुचपलगतिचेष्टाहारविहाराः, चलत्वादनवस्थितसन्ध्यक्षिभ्रूहन्वोष्ठजिह्वाशिरःस्कन्धपाणपादाःबहुत्वाइहप्रलापकण्डराशिराप्रतानाःशीघ्रत्वाच्छीघ्रसमारम्भक्षोभविकाराःशीघोत्रासरागविरागाःश्रुतग्राहिणःअल्पस्मृतयश्च,शैत्याच्छीतासहिष्णवःप्रततशीतकोद्वेपकस्तम्भाः पारुष्यात्परुषकेशश्मश्रुरोमनखदशनवदनपाणिपादाङ्गावैशद्यास्फुटिताडावयवाःसततसन्धिशब्दगामिनश्चभवन्ति । तएवं गुणयोगाद्वातलाःप्रायेणाल्पबलाश्चाल्पायुषश्चाल्पापत्याश्वाल्पसाधनाश्चाधन्याश्च ॥ ११३ ॥ वातप्रकृति-वायुका स्वभाव रूक्ष, हलका, चल, बहुल, शीघ्र, शीत, परुष और विशद गुणवाला होताहै। वातप्रकृति मनुष्यका शरीर वायुके रूक्षगुण होनेसे रूखा गिराहुआसा और कृश होताहै । स्वर अत्यंत रूक्ष, तीक्ष्ण, सक्त, भिन्न और जर्जरसा होताहै। निद्रा कम आतीहै । वायुका हलका गुण होनेसे उनकी गति,चेष्टा, आहार और व्यवहार लघु, तथा चपल होतेहैं। वायुके चलगुण होनेसे उनकी संधि,. आस्थ, भौहें, ठोडी, होठ, जिह्वा, शिर, कंधे, हाथ, पांव यह अस्थिर अर्थात् ताकः । नवर नहीं होते तथा कभी फडकते हैं। वायुके बहुत्व गुण होनेसे बहुत बोल नेवाला होताहै तथा कंडरा और नसोंके जालसे संपूर्ण शरीर व्याप्त होताहै । वायुकी. शीघ्र गति होनेसे आरम्भ, क्षोभ, विकार यह चित्तमें शीघ्र उत्पन्न होतेहैं एवम् त्रास,. रोग, वैराग्य यह शीघ्र उत्पन्न होतेहैं। तथा शीघ्र श्रुतको शीघ्र ग्रहण करना और भूलजाना यह गुण होतेहैं । वायुके शीतगुण होनेसे शीतको सहन न करसके
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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