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________________ विमानस्थान-१०५. शुक्रवाही स्रोतोंके दूषित होनेका कारण । अकालायोनिगमनान्निग्रहादतिमैथुनात् । शुक्रवाहीणिदुष्यन्तिशस्त्रक्षाराग्निभिस्तथा ॥२४॥ विना-समय मैथुन करनेसे, अयोग्य मैथुन करनेसे, विलकुल मैथुन न करनेसें, अधिक मैथुन करनेसे, शस्त्र, क्षार, तथा आग्निके संयोगसे वीर्यवाही स्रोत दूषित होते हैं ॥ २४॥ मूत्रवाही स्रोतोंके दूषित होनेका कारण । मूत्रितोदकभक्षस्त्रसिवनान्मूत्रनिग्रहात् । मूत्रवाहाणिदुष्यन्तिक्षीणस्याथरूशस्यच ॥२५॥ मूत्रके वेग आये हुए पर मूत्रको रोककर पानी पीनेसे एवम् मूत्रके वेगको रोककर स्त्रीगमन करनेसे, मूत्रको रोकनेसे तथा क्षीणता और कृशता होनेसे मूत्रवाही स्रोत दूषित होजाते हैं ॥२५॥ वोंके स्त्रोतोंके दूषित होनेका कारण । विधारणादत्यशनादजीर्णाध्यशनात्तथा । वचौवाहीनिदुष्यन्तिदुर्बलाने कशस्यच ॥ २६ ॥ मलके वेगको रोकनेसे, अधिक भोजन करनेसे; अजीर्णमें भोजन करनेसे, दुर्बल आनके होनेसे तथा कृशताके कारण मलवाही स्रोत दूषित होते हैं ॥ २६ ॥ .. __स्वेदवाही स्रोतोंके दूषित होनेका कारण । व्यायामादतिसंन्तापाच्छीतोष्णाक्रमसेवनात् । स्वेदवाहीनिदुष्यन्तिक्रोधशोकभयैस्तथा ॥ २७॥ अधिक व्यायाम करनेसे, अधिक धूप, तथा तापके सहनेसे, विकृतभावसे, सर्दी गौके सेवनसे,शोक तथा भयसे,स्वेदके वहन करनेवाले स्रोत दूषित होजातेहैं२७. . अन्य कारण ।. . आहारश्चविहारश्चयःस्थादोषगुणैःसमः। . धातुभिर्विगुणश्चापिसातसांसप्रदूषकः ॥ २८ ॥ जो आहार विहार-वात, पित्त, कफके साम्यगुणकारी हैं वह स्रोतोंको दूषितः करते हैं जो आहार विहार रसरक्तादि धातु के असमान गुण करनेवाले हैं वह भी स्रोतोंको दूषित करते हैं ॥ २८ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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