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________________ विमानस्थान-अ०३. (६३७) सम्यक्सर्वातियोगसन्धारणमसन्धारणमुदाणानाञ्चगतिमतां सहसानाञ्चवर्जनमारोग्यानुवत्तौउपलभामहेहेतुमुपदिशामः सम्यक्पश्यामश्चेति ॥ ५० ॥ सव प्रकारके अतियोगोंको न करना तथा मलमूत्रादि वेगोंको न रोकना और उचित रीतिपर नित्य भ्रमण करना, खोटे साहसोंको त्याग देना यह सब मनुष्योंको आरोग्यरखनेवाले कारण हैं । यह हमको निश्चय है और ऐसा ही हम देखते भी हैं तथा ऐसा ही कथन करते हैं ॥ ५० ॥ अग्निवेशका प्रश्न । अतःपरमग्निवेशउवाच । एवंसतिअनियतकालप्रमाणायुषांभ. गवन् ! कथंकालमत्युरकालमृत्युभवतीति ॥ ५१॥ इसके उपरान्त अग्निवेश कहनलगे कि हे भगवन्! याद आयुका प्रमाण निश्चित नहीं है तो कालमृत्यु और अकालमृत्यु कैसे होती है अर्थात् कालमृत्यु और अकाल: मृत्युमें क्या भेद है ॥ ५१ ॥ ____ काल तथा अकालमृत्युका वर्णन । तमुवाचभगवानात्रेयः। श्रयतामग्निवेश ! यथायानसमायुकोऽक्षःप्रकृत्यैवाक्षगुणैरुपेतःस्यात् । सचसर्वगुणोपपन्नोवाह्यमानोयथाकालं स्वप्रमाणक्षयादेवावसानंगच्छेत्तथायुःशरीरोपगतवलवतःप्रकृत्यायथावदुपचर्यमाणंस्वप्रमाणक्षयादेवअवसानंगच्छति ॥५२॥ समृत्युः कालेयथाचसएवाक्षोऽतिभाराधिष्ठितत्वाद्विषमपथादपथादक्षचक्रभङ्गाद्वाह्यवाहकदोषादनिर्मोक्षात्पर्यसनादनुपाङ्गाच्चान्तराव्यसनमापद्यते ॥ ५३॥ vथायुरप्ययथाबलमारम्भादयथाग्न्यभ्यवहरणाद्विषसाश्यवहरणाद्विषमशरीरन्यासादतिमैथुनादसत्संश्रयादुदीर्णवेगवि. निग्रहात् । विधाय॑वेगाविधारणाद्भूतविषवावग्न्युपतापादभिघातादाहारप्रतीकारविवर्जनाच्चान्तराव्यसनमापद्यते । स मृत्युरकाले ॥ ५४॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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