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________________ विमानस्थान-अ०३. ५३६) कोई आवश्यकता न होती । अर्थात् दीर्घायुकी कामनासे इन सव शुभकर्मीको तथा यज्ञादिकोंको कोई भी नहीं किया करता। क्योंकि आयुका प्रमाण तो नियत ' था ही फिर शुभकर्मोंकी क्या आवश्यकता थी ।। ४४ ॥ नउद्घान्तचण्डचपलगोगजोष्ट्रखरतुरगमहिषादयःपवनादयश्वदुष्टाःपरिहार्याःस्युःनप्रपातगिरिविषमदुर्गाम्बुवेगाः। तथा नप्रमत्तान्मत्तोद्धान्तवण्डचपलमोहलोभाकुलमतयोनारयोन प्रवृद्धोऽग्निर्नचविविधविषाश्रयाःसरीसृपोरगादयः । नसाहसं नदेशकालचर्याननरेन्द्रप्रकोपइत्येवमादयोभावानाभावकराः " स्युः आयुषःसर्वस्यनियतकालप्रमाणत्वात् ॥ ४५ ॥ तथा उद्धांत, चंड, चपल हुए गौ,हाथी,ऊंट, गधा,घोडा,भैंसा तथा दुष्ट पवन आंधी आदिसे बचनेकी कोई आवश्यकता न होती।एवम् पहाड आदिसे गिरनेका विषमस्थानोंमें जानेका,वेगवान नदी आदिमें वहनेका भी कोई भय न होता और न उपरोक्त कारणोंसे आयु नष्ट हुआ करती । इसीप्रकार प्रमत्त,उन्मत्त, उद्भ्रांत, चंड, चपल, मोह तया लोभसे व्याकुल मातवाले शत्रुओंसे भी कोई भय न होता। और प्रबल अग्नि,अनेक प्रकारके विषभरे सर्प आदिकोसे वचनेकी भी कोई आवश्यकता न होती और साहस तथा देश, कालका विचार, राजाओंके क्रोधका भय आदिक मनुष्योंकी आयुमें हानिकारक न होते.यदि सव मनुष्योंकी आयु नियत समयपर निश्चित होती। इसलिये आयुका नियत मानना ठीक नहीं है ।। ४५॥ नचानभ्यस्ताकालमरणभयनिवारकाणामकालमरणभयमागच्छेत् प्राणिनाम् । व्यर्थाश्चारम्सकथाप्रयोगबुद्धयःस्यमहसणांरसायनाधिकारी॥४६॥ और भी कहतेहैं। यदि अकालमृत्युका अभाव है तो मनुष्योंके हृदयमें अकाल मृत्युका भय भी नहीं होनाचाहिये था और आयुके वढानेवाले रसायनप्रयोग जो रसायनाधिकारमें महर्षियोंके कथन कियेहैं वह सब भी वृथा और झूठे मानेजा, यंगे ॥ ४६॥ नापीन्द्रोनियतायुषंशत्रुबजेणाभिहन्यात् । नाश्विनावातभेषजेनोपपादयेताम् । नर्षयोयथेष्टमआयुस्तपसाप्राप्नुयुनचविदितवेदितव्यासहर्षयःससुरेशाः सम्यकपश्ययुरुपदिशेयुराचरेयुर्वा ॥ १७॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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