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________________ विमानस्थान-अ० ३. (५२५) देशको ऐसे लक्षण होने पर रोगकारक जानना चाहिये। जिस देशके स्वभाव,वर्ण, रस,गंध,स्पर्श यह सब बिगडगयेहों तथा संपूर्ण भूमिमें गिलगिलापन हो एवम् सांप, व्याल,मच्छर,टिडी,मक्खी, मूषक, उल्लू, गीध आदि श्मशानमें रहनेवाले जानवर तथा गीदड आदिक बहुतहों।बहुतसे घास और बेलें इनके फैलाव हों एवम् अनेक प्रकारकी वेलें उत्पन्न हो । पहिलेसे सव लक्षण विपरीत प्रतीति हों एवम् अपूर्व. लक्षण दिखाई देतेहों, बिना बोये हुए अंटसंट अनेक प्रकारके घास उत्पन्न हुए हों, खेती सूख या नष्ट होगई हो, पवन धूएंसे युक्त हो, पक्षीगण आकाशमें इधर उधर बहुत उडते हों गीदड और कुत्ते रोते हों, अनेक प्रकारके मृग और पक्षी व्याकुल हुए इधर उधर फिरते हों; । एवम् उस देशमें धर्म, सत्य, लज्जा, आचार,शुभगुण यह सव नष्ट होगये हों तथा जलाशय सहसा क्षुभित हुए हों। और उस देशमें उल्कापात हो अर्थात् तारे टूटे,विजली गिरे। भूकम्प हो,भारी आंधी आवे तथा देशका भयंकर रूप होजाय । चंद्रमा, सूर्य और तारागण कभी रूखे, कभी लाल, कभी सफेद एवम् मेघजालसे ढकेहुए निरन्तर ऐसे २ रूपमें दिखाई दियाकरें और उस देशमें संभ्रम, उद्वेग, त्रास और रोनेकसे लक्षण दिखाई दियाकरें निरन्तर अन्धकारसा छाया रहे तथा भूत, प्रेतोंका घूमना और शब्द करना प्रतीत हुआकरें ऐसे लक्षणवाला देश भयानक रोगोंको उत्पन्न करनेवाला होताहै ॥ ८॥ कालको अनारोगत्व । कालन्तुखलुयथ लिङ्गाद्विपरीतलिंगमतिलिङ्गहीनलिङ्गचाहितंव्यवस्येत् ॥९॥ अव काल अर्थात् समयके रोगोत्पादक होनेके लक्षण कहतेहैं । जैसे ऋतुओंका अपने लक्षणोंसे विपरीत होना । जैसे जिस ऋतु जैसे लक्षण होनेचाहिये उससे अत्यन्त अधिक होना, बहुत कम होना,या न होना अथवा आगे पीछे होना।इसमः कारके लक्षणवाला समय रोगोंको उत्पन्न करनेवाला होताहै ॥ ९॥ . इमानेवेदोषयुक्तांश्चतुरोभावानजनपदोद्ध्वंसकरान्वदान्तकुशलाः । अतोन्यथाभूतांस्तुहितानाचक्षते ॥ १०॥ इस प्रकार वायु, जल,देश और काल इन चारोंके विकृतगुण होनेसे जनपदका उध्वंस होता है । अर्थात् जिस प्रान्त अथवा जिस देश या जिस द्वीपमें उपरोक्त. चारों भावोंकी विकृतावस्था होजाती है वह देश,वह मान्त, वह द्वीप भयानक रोगयुक्त होकर नष्ट हो जाता है । इससे,विपरीत अर्थात् अपने ठीक लक्षणंवाले-वायु, जल, पृथ्वी, समय होनेसे सब मनुष्यों के लिये हितकारक होते हैं ॥ १०॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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