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________________ रका छेद नाम होनेसे साध्य कर उन छिद्रों के मुख तथा वैक्षण और बस मेद निदानस्थान-०१. पढजानेसे मांस में--मांसके दोषसे दुर्गंधित मांसको शराविका कच्छपिका आदि पिडका उत्पन्न होजाती हैं । फिर वह दूषित कफ मेदादिकोंसे मिलाहुआ छेदको दूषित करके प्रकृतिस्थमूत्रको बिगाड़ देता है । तब मूत्रवाही स्रोतोंके मुख मेद और क्लेदके द्वारा भारी कर देता है और रोक देता है । तथा वंक्षण और वस्तीके मुखौको भी भारी कर देताहै । फिर उन छिद्रोंके मुख दृढ होजाते हैं अथवा किसी प्रकार प्रकृतिस्थ होनेसे साध्य भी होजातेहैं । कफ और मेदसे मिश्रित हुआ शरीरका क्लेद-मूत्राशयमें प्राप्त होकर मूत्ररूप होजाताहै फिर वह कफजनित दश प्रकारके विषमता न्यूनता एवम् अधिकता युक्त गुणों को उत्पन्न करताहै । जैसेश्वेतता, शीतलता, मूर्तता, पिच्छलता अच्छता, स्निग्धता, गुरुता, मधुरता, सांद्रता एवम् गंधता इन दश गुणोंको उत्पन्न करताहै। इनमें यदि वह क्लेद एक गुणयुक्त हो तो सम कहा जाताहै और बहुतसे गुणयुक्त होनेसे गौण कहाजाता है ॥६॥७॥ प्रमेहोंके नाम। तेतुखलुइमेदशप्रमेहानामविशेषणभवन्ति तथाउदकमेहश्चेक्षुमेहश्चसान्द्रमेहश्चसान्द्रप्रसादमेहश्चशुक्कुमेहश्चशुक्रमेहश्च शीतमहश्चसिकतामेहश्चशनैर्मेहश्चलालामेहश्चति ॥८॥ फिर उन दश गुणयुक्त होनेसे दश प्रकारके प्रमेहोंको उत्पन्न करताहै । वह दश प्रमेह यह है-उदकमेह, इक्षुमेह, सान्द्रमेह, सान्द्रप्रसादमेह, शुक्लमेह, शुक्रमेह, शीतमेह, सिकतामेह, शनैर्मेह और लालामेह ॥ ८॥ कफप्रमेहका साध्यत्व । तेदशप्रमेहाःसाध्या:समानगुणमेदःस्थानत्वात्कफस्यप्राधान्यात्समानक्रियत्वाच्च ॥१॥ वह दश प्रकारके प्रमेह साध्य होतेहैं क्योंकि मेदके समान गुण होनेसे, मेदसे कफके प्रधान होनेसे तथा कफ और मेदकी समान चिकित्सा होनेसे साध्य होते, अर्थात् जो चिकित्सा कफनाशक की जायगी वह मेदके विकारोंको भी शान्त करती है । इसलिये चिकित्सा विरोध न पडनेसे कफजनित प्रमेह साध्य होतेहै९॥ उदकमेहका लक्षण । तत्र श्लोकाः। .. श्लेष्मप्रमेहविज्ञानार्थाः । अच्छंबहुसितंशीतनिर्गन्धगुदकोपमम् । श्लेष्मकोपान्नरोमूत्रमुदमहीप्रमेहति ॥१०॥ उन कफके प्रमेहोंके विज्ञानके लिये यहांपर श्लोक कहेजातेहैं।
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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