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________________ सूत्रस्थान अ०३०. (४१७) विद्वान् और अध्यायोंका संग्रह तथा स्थानसंग्रह एवम् इस तंत्रका विषय वर्णन कियागयाहै ॥ ८०॥ ८१॥ ८२ ॥ सूत्रस्थानकी निरुक्ति । • यथासुमनसांसूत्रसंग्रहार्थविधीयते। संग्रहार्थेयथार्थानामृषिणासंग्रहः कृतः ॥ ८३॥ इति अग्निवेशकृते तन्त्रे चरकप्रतिसंस्कृते सूत्रस्थाने । अर्थे महादशमूलीयो नाम त्रिंशत्तमोऽध्यायः॥३०॥ जिस प्रकार फूलोंको गठन करनेकेलिये धागा होताहै अर्थात् जिस प्रकार धागेमें फूल गूथे जातेहैं उसी प्रकार संपूर्ण संग्रहको इस सूत्रस्थानमें भगवान् आत्रेयजीने गठन कियाहै ॥ ८३ ॥ इति श्रीमहर्षिचरक० पं० रामप्रसादवैद्य भाषाटीकायामन्नपानविधिर्नाम . . . त्रिंशत्तमोऽध्यायः ॥ ३०॥ अग्निवेशकतेतन्त्रेचरकप्रतिसंस्कृते। " इयतावधिनासर्वसूत्रस्थानं समाप्यते ॥ महर्षि आग्निवेशके रचेहुए तथा महात्मा. चरकद्वारा प्रतिसंस्कार कियेहुए इस आयुर्वेद तंत्रमें यह सूत्रस्थान इन तीस अध्यायों में समाप्त हुआ । दोहा । इह विधि सूत्रस्थान यह सूत्रित तंत्र महान । सो प्रसादनीयुत भयो, लघुमति जैहैं जान ॥ १॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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