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________________ सूत्रस्थान - अ० ३०.. . रोगाध्यायों के नाम । कियन्तः शिरसीयश्वत्रिशोफाष्टोदरादिकौ । रोगाध्यायो महांश्चैव रोगाध्यायचतुष्टयम् ॥ ३४ ॥ कियन्तः शिरसोय, त्रिशोफीय, अष्टोदरीय और महारोगाध्याय इन चार अध्यायोंमें रोगोंका, विषय है ॥ ३४ ॥ • ► " -योजनाचतुष्क अध्यायोंके नाम । अष्टौनिन्दित संख्यातस्तथा लंघन तर्पणौ (४०) विधिशोणितकश्चेतिव्याख्यातास्तत्र योजनाः ॥ ३५ ॥ अष्टौनिन्दनीय, लंघनबृंहणीय, संतर्पणीय और विधिशोणितीय- ये चार अध्याय औषधी प्रयोग विषयमें कंथन किये गये हैं ॥ ३५ ॥ अन्नपानचतुष्कअध्यायों के नाम | यज्जःपुरुषकः ख्यातोभद्रकाप्योऽन्नपानिको । विविधाशितपीतश्च चत्वारोऽन्नविनिश्वर्ये ॥ ३६ ॥ ● यज्जः पुरुषीय, आत्रेयभद्रकाप्यीय, अन्नपानविधि और विविधाशितपीतीय-. न चार अध्यायों में आहार द्रव्यों का वर्णन कियागयाहै ॥ ३६ ॥ वैद्यगुणागुणविषयक अध्यायोंके नाम । दशप्राणायतंनिकस्तथार्थे दश मलिकः -द्वावेतौ प्राणदेहाथाप्रोक्तविद्यगणाश्रय ॥ ३७ ॥ दशप्राणायतनीय, अर्थेदशमूलीय - ये दो अध्याय वैद्यके गुणों के विषय में कथनं किये गये हैं ॥ ३७॥ सूत्रस्थान के अध्यायों का संक्षिप्त वर्णन । औषधस्वस्थानिर्देशकल्पनांरोगयोजनाः ॥ चतुष्काः षट्क्रमेणोक्ताः स तमश्चान्नपानिकः ॥ ३८ ॥ औषध, स्वस्थ, निर्देश, कल्पना, रोग और योजना - यह छः चतुष्क कथन किये गये और सातवां क्रमपूर्वक अन्नपानिकचतुष्क हुआ ॥ ३८ ॥ stari हायायावितित्रिंशकमर्थवत् । ... लोकस्थानसमुद्दिष्टतन्त्रस्यास्याशरः शुभम् ॥ ३९ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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