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________________ । सूत्रस्थान-०३०.. १४०१ कहेहुए कठिन कठिन शब्दोंको फिर अंशांशद्वारा स्पष्ट कर कहना अर्थावयव कहा. जाताहै। यादि वहाँपर कोई ऐसा प्रश्न करनेवाला हो कि ऋग्वेद, सामवेद,यजुर्वेद, अथर्ववेद इन चारों वेदों से किस वेदके कथन करनेवालेको आयुर्वेद के जाननेवाला कहना चाहिये,आयु क्या है,अयुर्वेद कहांसे हुआ और आयुर्वेद किसको कहतेहैं? यह आयुर्वेद प्रामाणिक है अथवा अप्रामाणिक एवम् नित्य है या अनित्यौआदिके कौन २अंग हैं ? किन लोगोंको आयुर्वेद पढना चाहिये ? आयुर्वेदके पढनेसे सिद्ध क्या होताहै अथवा आयुर्वेद किसलिये बनायागया ? ॥ १५॥ . . तत्राभिषजापृष्टेनैवञ्चतुर्णामृक्सामयजुरथर्ववेदानामात्मनोऽ-: थर्ववेदेभक्तिरादेश्यावेदोह्यथर्वणः स्वस्त्ययनबलिमङ्गलहोमनियमप्रायश्चित्तोपवासमन्त्रादिपरिग्रहाच्चिकित्सांप्राह । चि. कित्साच युषोहितायोपदिश्यतेवेदश्चोपदिश्यआयुर्वीच्यम् । तत्र आयुश्चेतनामवृत्ति वितमनुबन्धोधारिचेत्येकोऽर्थः तत्र आयुर्वेदयतीत्यायुर्वेदःकथमित्युच्यतेस्वलक्षणतः. सुखासुख: तोहिताहिततःप्रमाणाप्रमाणतश्च । यतश्चायुष्यानायुष्याणि चद्रव्यगुणकर्माणिवेदयत्यतोऽप्यायुर्वेदः तत्रआयुष्याण्यनायुष्याणिचद्रव्यगुणकाणिकेवलेनोपदेक्ष्यन्ते ॥ १६ ॥. . . वैद्यके इस प्रकार प्रश्न करनेपर कहना चाहिये कि ऐसे मत कहो। ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद इन चारों वेदोंमें अथर्ववेद ही आयुर्वेदकी : आत्मा कहनाचाहिये क्योंकि अथर्ववेदमें कहेंहुए,स्वस्त्ययन,वलिदान,मंगलकर्म,होम, नियम, प्रायश्चित्तं, उपवास और मंत्र आदिकासे ही चिकित्साका निर्देश कियागयाहै । और आयुके हितके लिये ही चिकित्साका.उपदेश कियागयाहै। इसप्रकार आयुके वेदका कथन कर अब, आयुका कथन करतेहैं कि आयु.चेतना,प्रवृत्ति,जीवित,अनु. बंध यह सर्व आयुके पर्यायवाचक शब्द हैं इन सब शब्दोंमें आयुशब्द प्रसिद्ध होनेसे मुख्य रक्खा गयाहै सो आयुको विदित करानेवाला अर्थात् आयुसम्बन्धी ज्ञानके करानवाले शास्त्रको आयदि कहतेहैं। आयुर्वेद आयुका परिज्ञान किस प्रकार करता है सो कहते हैं । जैसे-आयुके लक्षण सुखायु,दुःखायुं, · हितआयु तथा अहितआयु. आयुका प्रमाण और अपमाण, जिसप्रकारं आयुके वढानेवाले पदार्थ आयुको बढातेहैं एवम् क्षय करतेहैं और द्रव्य, गुण, कर्म इन संवका यथार्थ ज्ञान करानेवाला आयुर्वेद कहा जाताहै. इस. आयुर्वेद में अ'युक्के बढानेवाले और आपुंके नष्ट करने वाले द्रव्य, गुण कर्मोका ही कंथन किया जाताहैः॥ १६ ॥ ... ... ...
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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