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________________ ( ३२६ ) चरकसंहिता - भा० टी० । म्बुकुक्कुटी । आरानन्दीमुखी वाटी सुमुखाः सहचारिणः॥४२॥ - रोहिणीकामकालीचसारसोरक्तशीर्षकः । चक्रवाकास्तथान्ये चखगाः सन्त्यम्बुचारिणः ॥ ४३ ॥ कूर्म, केंकडा, मत्स्य, सूस (सिनसुमार ), तिमिंगल मछली, सीप, शंख, उद्र, कुंभीर (घडियाल ), चिरुकी, मगर इन सबको जलेशय जीव कहते हैं। हंस, क्रौंच बलाका, काकबक, वगुला, कारण्डव, प्लव, शरारी, पुष्कर, केशरी, मानतुण्डिक, मृणालकंठ, मद्गु, कादम्ब, काकतुण्ड, उत्क्रोश, पुण्डरीक, मेघराव, जलकुक्कुट, आरा, नंदीमुखी, वाटी, सुमुखा, सहचारिण, रोहिणी, कामकाली, सारस, रक्तशीर्षक, चकवा यह सब जलचारी कहे जाते हैं तथा और भी जलमेंसे मछलिय पकडनेवाले पक्षीविशेष जलचारी कहाते हैं ॥ ३९ ॥ ४० ॥ ४१ ॥ ४२ ॥ ४३ ॥ जाङ्गल पशुओं के नाम । पृषतः शरभोवामः श्वदंष्ट्रा मृगमातृकाः । शशोरणौ कुरङ्गश्चगोकर्णः कोटकारकः ॥ ४४ ॥ चारुष्को हरिणैणौचशम्बरः कालपुच्छकः । ऋष्यश्चतर पोतश्च विज्ञेयाजाङ्गलामृगाः ॥ ४५ ॥ चित्रहरण, महाभृंग, हरिण, कस्तूरी मृग, श्वदंष्ट्रा, मृगमात्रिका, खरगोश, उरण कुरंग, गोकर्ण, कोटकारक, चारुष्क, हरिण, ताम्रवर्णका हरिण; सावर, कालपु च्छक, ऋष्य, तरपोत इन सबको जंगलके मृग कहते हैं ॥ ४४ ॥ ४५ ॥ विष्किर पक्षियों के नाम । लावोवतरकश्चैवार्तीकः सकपिञ्जलः । चकोरश्चोपचक्रश्चकुकुटोरक्तवर्त्तकः ॥ ४६ ॥ लावाद्याविष्किरास्त्वेते वक्ष्यन्ते वर्त्तकादयः । वर्त्तकोवर्त्तिकश्चैववहतित्तिरिकुक्कुटौ ॥ ४७ ॥ कङ्कसारपदेन्द्राभगोनर्द गिरिवर्त्तकाः । क्रकरोऽवकरचैववराहश्चेतिविष्किराः ॥ ४८ ॥ लवा, बटेर, वार्तीक, कपिंजल, चकोर, उपचक्र, कुक्कुट, लालवर्त्तक, वर्तिका, वहीं, तित्तरी, मुर्गा, कंक, सारपद, इन्द्राभ, सारस, गिरिवर्तक कुकर, अवकर, वराह इन सबको विष्किर कहते हैं ॥ ४६ ॥ ४७ ॥ ४८ ॥ प्रतुद पक्षियों के नाम । शतपत्रोभृङ्गराजः कोयष्टीजीवजीवकः । कैरातः कोकिलोऽत्यू - १ वारटाश्चेति पाठान्तरम् । ·
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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