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________________ ( २९२ ) चरकसंहिता - भा०टी० जो द्रव्य लघु, शीत, रूक्ष, खर, विषद, सूक्ष्म और स्पर्शगुणप्रधान होते हैं उनको वायवीय जानना । वायवीयद्रव्य - रूक्षता, ग्लानि, विचार, विषदता तथा लघुताको करते हैं ॥ २५ ॥ आकाशीय द्रव्य । मृदुलघुसूक्ष्म श्लक्ष्णशब्दगुणबहुलान्याकाशात्मकानि तानि मार्दवसौपिर्य्यलाघवकराणि ॥ २६ ॥ जो द्रव्य मृदु, लघु, सूक्ष्म, श्लक्ष्ण और शब्दगुणप्रधान होते हैं वह आकाशीय हैं। आकाशीय द्रव्य मृदुता, पित्त तथा लघुताको करते हैं ॥ २६ ॥ द्रव्यविषयक सिद्धान्त | अनेनोपदेशेननानौपधिभतं जगतिकिञ्चिद्द्द्रव्यमुपलभ्यते । तांयुक्तिमर्थञ्चतंतमभिप्रेत्यनचगुणप्रभावादेवकार्मुकाणिभव fa 11 2011 इस नियमसे यह सिद्ध है कि संसार यत्किचित् वस्तु हैं उन सबमें ही औष'धत्व होता है । सम्पूर्ण द्रव्य उक्त गुण प्रभावसे ही कार्यकर्ता नहीं होते किन्तु युक्ति,. अर्य, योगविशेषकी अपेक्षासे ही कार्यकर्ता होते हैं ॥ २७ ॥ द्रव्याणिहिद्रव्यप्रभावाद्गुणप्रभावाच्चतस्मिंस्तस्मिन्कालेतत्तदधिष्ठानमासाद्यतां ताञ्च युक्तियत्कुर्वन्ति तत्कर्मयेन कुर्वन्तित - द्वीय्यं, यत्रकुर्वन्तितदधिकरणंयदाकुर्वन्तिसकालो यथाकुर्वन्ति सउपायोयत्साधयन्तितत्फलम् ॥ २८ ॥ . सम्पूर्ण द्रव्य द्रव्यके प्रभावसे, गुणके प्रभावसे और द्रव्यगुण के प्रभावसे यथासमय ययोचित रीति पर प्रयोग करनेसे जो कार्य करतेहैं, उसको कर्म कहते हैं, तथा जिसके द्वारा करते हैं उसको वीर्य कहते हैं और जिस समय करते हैं उसको काल कहते है एवम् जिस प्रकार करतेहैं उसको उपाय कहते हैं और कर्मद्वारा जो सिद्ध होता उसको फल कहते हैं ॥ २८ ॥ रसा के विकल्पकी संख्या । भेदश्रेषां त्रिपष्टिविधिविकल्पोद्रव्य देशकालप्रभावात्तदुपदे क्ष्यामः ॥ २९ ॥ इनके देश, काल, और प्रभावविशेषसे ६३ तिरसट प्रकार होते हैं उनका आगे वर्णन करते है || २९ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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