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________________ (२७१) सूत्रस्थान-अ० २९.. वार्योंषिदका मत । चार्योंविदस्तुनेत्याहन कंकारणंमनः । ननॆशरीरंशारीरारोगा नमनसःस्थितिः ॥ १० ॥ रसजानितुभूतानिव्याधयश्चपृथविधाः । आपोहिव्याधिवत्यस्तास्मृतानिवृतिहेतवः ॥ ११ ॥ यह सुनकर महर्षि वार्योंविद कहने लगे कि ऐसा नहीं हो सकता । अकेला मन पुरुषकी उत्पत्ति और रोगोंका कारण नहीं होताहै । क्योंकि शरीरके विना शरीरमें होनेशले रोग और मनकी स्थिति यह दोनों नहीं हो सकते इसलिये ऐसा कहना चाहिये कि समस्त प्राणी और अनेक प्रकारके रोग यह सब रससे उत्पन्न होतेहै और वह रसंही इनकी उत्पत्तिका कारण है ॥ १० ॥ ११ ॥ हिरण्याक्षका मत । हिरण्याक्षस्तुनेत्याहनह्यात्मारसजःस्मृतः । नातीन्द्रियंमनः सन्तिरोगाःशब्दादिजास्तथा ॥ १२ ॥ षड्धातुजस्तुपुरुषो रोगाःषड्धातुजास्तथा। राशिःषड्धातुजोह्येषसांख्यैरायःपपरीक्षितः॥ १३ ॥ यह सुनकर हिरण्याक्ष ऋषि कहनेलगे कि आत्मा भी कभी रससे उत्पन्न हों सकताहै और मन अतीन्द्रिय है वह रससे कैसे उत्पन्न हुआ तथा रोग जो है वह शब्द सुनने मात्रसे भी उत्पन्न होसकते हैं इसलिये पृथ्वी, आप, तेज, वायु,आकाश और आत्मा इन ६ पदार्थोसे पुरुष और रोगोंकी उत्पत्ति माननी चाहिये । इस बातको पहिले सांख्यके कर्ता भगवान् कपिलजीन भी कथन कियौहै और परीक्षा की है ॥ १२ ॥ १३ ॥ शौनकका मत। तथाब्रुवाणंकुशिकमाहतन्नेतिशौनकः। कस्मान्मातापितृभ्यां - हिविनाषड्धातुजोभवेत् ॥ १४ ॥ पुरुषःपुरुषागौगोरश्वादश्वः प्रजायते । पैत्र्यामेहादयश्चोक्तारोगास्ताएवकारणम् ॥ १५ ॥ इस तरह कुशिक हिरण्याक्ष ऋषिके प्रस्तावको सुनकर शौनक ऋषि कहने लगे कि भला यह जो आपने ६ धातुओंसे पुरुषकी उत्पत्ति मानी है यह ६धातु माता .'पिता विना पुरुषको कैसे उत्पन्न कर सकते हैं। हम देखतेहैं जैसे पुरुषसे पुरुष गौसें गौ, घोडेसे घोडा, उत्पन्न होतेहैं वैसे ही मेह आदि विकार भी पितासे ही उत्पन्न
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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