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________________ धन्यवाद। हमारे आयुर्वेदिक शास्त्रमें चरक ही एक ऐसा अनुपम ग्रन्थ है कि जिसकी प्रशंसा आयुर्वेद के तत्वज्ञाता मुक्तकण्ठ हो करतेहैं । जिस महर्षि पतञ्जलिके व्याकरणमहाभाष्य सथा योगदर्शनको विचारते समय कुशाग्रबुद्धि प्रतिभासम्पन्न भी विद्वान उन्हें वश्यवाक् समझतेहैं जिनकी कृपासे मनुष्योंकी वाणी संस्कृत होकर अपशब्दोंके दोषोंसे बचतीहै उन्ही महर्षि पतञलिने मनुष्योंकी नीरोगताके लिये आयुर्वेदशास्त्र की शिरोमाण यह चरकसंहिता बनाई है चरकसंहिताके उद्धार करनेवाले वही (पतञ्जलि ही) चरक हैं इसमें यही प्रसिद्ध श्लोक-( योगेन चित्तस्य पदेन वाचां मलं शरीरस्य च वैद्यकेन । अपाकरोद्यः प्रवर मुनीनां पतञ्जाल प्राञ्जलिरानतोऽस्मि) प्रमाण है। जो कुछभी हो इस ग्रन्थमें वह उत्तान गम्भीर आशय और चिकित्सामें वैद्यकी बुद्धि यदि उत्तम हो तो एक योगसे कितने ही योग नवीन कल्पित कर लेना इत्यादि अलौकिक वाव लिखीहुई हैं। समयानुकूल अब इसकी हिन्दी टीकाकी वडी आवश्यकता होगई है । एक आवृत्ति यह पण्डित मिहिरचन्द्रनीकी बनाई हुई टीकासहित छपचुकी है अबकी बार पटियालाराज्यान्तर्गत टकसालग्रामनिवासी आयुर्वेदोद्धारक वैद्यपञ्चानन पण्डित रामप्रसादजी वैद्योपाध्याय द्वारा प्रसादनीनामक सरल हिन्दीभाषामें टीका बनवाई है मानन्दकी बात है, कि इस टीकामें उक्त वैद्यजीने अतिकठिन स्थलोंपर भी ऐसी सरलटीका बनाई है कि लोग विना परिश्रम इस ग्रन्थका अभिप्राय सपझ जायेंगे। . इस सर्वोपकारक कार्य करनेके लिये हम वैद्यजीको अनेक धन्यवाद देतेहैं और आशा करतेहैं कि और भी उत्तम उत्तम ग्रन्थोंकी भाषाटीका बना आयुर्वेदके प्रचार करनेमें आप भाग लियाकरेंगे। खेमराज श्रीकृष्णदास, "श्रीवेङ्कटेश्वर" स्टीम् यन्त्रालयाध्यक्ष-बम्बई.
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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