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________________ सूत्रस्थान-अ० १७. (२०१) - क्षयके कारण। . व्यायामोऽनशनचिन्तारूक्षाल्पप्रमिताशनम् । . वातातपौभयंशोकोरूक्षपानप्रजागरः॥७२॥ कफशोणितशुक्राणांमलानांचातिवर्तनम् । कासोभतोपघातश्चज्ञातव्या:क्षयहेतवः॥ ७३ ॥ अतिव्यायाम, भूखे रहना, चिंता, रूक्ष और थोडा भोजन करना, वायु और धूपका सहना, भय, शोक, रूक्ष वस्तुओंका सेवन, बहुत जागना कफ और रक्त तथा वीर्यका अत्यंत निकलना, या निकालना, खाँसी और भूतवाधा यह सब क्षय होनेके कारण हैं ।। ७२ ॥ ७३ ॥ मधुमेहके कारण। गुरुस्निग्धाम्ललवणभजतामातमात्रशः। नवमन्नंचपानंचनिद्रामास्यासुखानिच ॥७४ ॥ त्यक्तव्यायामचिन्तानांसंशोधनमकुर्वताम् । श्लेष्मापित्तश्चमेदश्चमांसंचातिप्रवर्द्धते ॥७५ ॥ . . तैरावृतःप्रसादहिगृहीत्वायातिमारुतः। यदाबस्तितदाकृच्छो मधुमेहःप्रवर्त्तते ॥ ७६ ॥ भारी,चिकने,खट्टे,और नमकीन पदार्थोंके अधिक सेवनसे, नवीन अन्नके खानेसे, वहुत जल अथवा मद्यके पीनेसे, बहुत सानेसे,बहुत सुखपूर्वक बैठे रहनेसे, कसरतके न करनेसे, बेफिकर रहनेसे, संशोधन कम करनेसे कफ, पित्त,मेद और मांस बहुत वढजातेहैं । फिर वायु उनसे आवृत हो ओज (सबधातुओंके परम प्रसाद लेकर जब वस्तिस्थानमें प्राप्त होताहै तब दुःसाध्य मधुमेह उत्पन्न होजाताहै ॥७४।७५॥७६॥ समारुतस्यपित्तस्यकफस्यचमुहुर्मुहुः । दर्शयत्यारुतिरुत्वाक्षयमाप्याय्यतेपुनः ॥७७॥ वह मधुमेह पहले वात पित्त और कफके लक्षणोंको वारंवार दिखाताहै फिर क्षयको उत्पन्न करदेताहै ॥ ७७॥ प्रमेहपिडिकाओंका वर्णन । उपेक्षयास्यजायन्तोपडकाःसप्तदारुणामांसलेष्ववकाशेषुममस्वपिचसन्धिषु ॥ ७८ ॥ शराधिकाकच्छपिकाजालिनी सर्पपीतथा । अलजीविनताख्याचविद्रधीचेतिसप्तमी॥ ७९ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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