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________________ ( १३४ ) चरकसंहिता - भा० टी० । वलवान् जानवर पकडकर खींचता है तब वह आगेको वलपूर्वक भागती हुई अपने जीवनको त्याग देती है ऐसे ही रोगांसे खींचा हुआ मनुष्य भी अपने जीवनको त्यागदेवाह ॥ ७० ॥ ७१ ॥ मनुष्यका कर्तव्य | तस्मात्प्रागेव रांगेभ्योरोगेषुतरुणेषुवा । भेषजैः प्रतिकुव्वतयइच्छेत्सुखमात्मनः ॥ ७२ ॥ इसलिये रोग होने से पहले ही अथवा रोगके बलवान् होनेस पहलेही औषधा द्वारा अपने सुख के लिये यत्न करे ॥ ७२ ॥ अध्यायका उपसंहार | तत्रश्लोको एषणाःसमुपस्तम्भावलकारणमामयाः । तित्रैपणीयेमागीश्चभिपजोभेपजानिच ॥ ७३ ॥ त्रित्वेनाष्टौसम्द्दिष्टाः कृष्णात्रेयेण धीमता । भावाभावेपुशक्तेनयेषुसर्वंप्रतिष्ठितम् । इति ॥ ७४ ॥ अग्नीत्यादि || एकादशस्ति स्त्रेपणीयाध्यायः समाप्तः । यहां इस अध्यायकी पूर्तिमं दो श्लोक हैं, कि इस तिलेषणीयाध्यायमें वैराग्यवान् बुद्धिसंपन्न कृष्णात्रेयजीने एषण, उपस्तंव, वल, कारण, रोग, रोगमार्ग,. वैद्य, औषध इन आठोके तीन २ भेद कथन किये हैं । और सबके भावाभाव कहेह । जिसमें समस्त प्रतिष्ठित हैं अर्थात् जिसके आधार पर समस्त वैद्यक है || ७३ ॥ ७२॥ इति श्रीमहर्षिचरकप्रणीतायुर्वेदीयसंहितायां पटियालाराज्यांतर्गत टकसाल निवासिवेद्यपंचानन वैद्यरत्न पं० रामप्रसाद वैद्योपाध्यायविरचितप्रसादन्याख्यभापाटीकायां तिम्रैपणीयो नामैकादशोध्यायः ॥ ११ ॥ द्वादशोऽध्यायः । -S::S अथातोवातकलाकलीयमध्यायं व्याख्यास्याम इतिहस्माहभ गवानात्रेयः । वायुंके विषयम ऋषियोंका प्रश्न | बातकलाकलाज्ञानमधिकृत्य परस्परंभता निजिज्ञासमानाः समुपविश्य महर्षयः पप्रच्छुरन्योन्यकिं गुणांवायुः किमस्यप्रकोप
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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