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________________ : सूत्रस्थान - अ० ७:-:' (८३१ ही करना चाहिये ॥ २९ ॥ व्यायाम करने से देह में हलकापन, कामकरनेकी सामथ्र्य दृढता, और कष्ट सहलेनेकी सामर्थ्य बढती है। तीनों दोष शांत होते हैं तथा जठराग्नि बलवान् होती है ॥ ३० ॥ अत्यन्त कसरतके उपद्रव ।" श्रमः क्लमःक्षयस्तृष्णारक्तपित्तंप्रतामकः । अतिव्यायामतः कासोज्वरश्छर्दिश्चजायते ॥ ३१ ॥ व्यायाम हास्य भाष्याध्व ग्राम्यधर्मप्रजागरान् । नोचितान पिसेवेतबुद्धिमानतिमात्रया ३२ अतिव्यायाम करनेसे थकावट, ग्लानि, क्षय, तृषा, रक्तपित्त, तमक, श्वास, खांसी, ज्वर, और वमन, होते हैं ॥ ३१ ॥ बुद्धिमानको उचित है कि व्यायाम, हास्य, भाषण, रस्ता चलना, मैथुन, जागना इनको अधिकता से सेवन न करे ॥ ३२ ॥ शक्तिके बाहर कोई कार्य न करे । एतानेवंविधांश्चान्यान्योऽतिमात्रंनिषेवते । गजः सिंहमिवाक न् सहसासविनश्यति ॥ ३३ ॥ इन ऊपर लिखे कामों को जो पुरुष बहुत अधिकतासे करता है अथवा अन्य ऐसेही. कामों को अधिकता से करता है वह पुरुष जैसे सिंहको खैंचने से हाथी नष्ट होता है ऐसाशीघ्र नष्ट हो जाता है ॥ ३३ ॥ हिताहितका विचार करे । उचितादहिताद्धीमान्क्रमशोविरमेन्नरः। हितं क्रमेणसेवेतक्रमवात्रोपदिश्यते ॥ ३४ ॥ प्रक्षेपापचयेताभ्यां क्रमः पादांशिको भवेत् । एकान्तरततश्चोदयन्तरं त्र्यन्तरतथा ॥ ३५ ॥ क्रमेणापचितादोषाः क्रमेणोपचितागुणाः । सन्तोयान्त्यपुन - र्भावमप्रकम्याभवति ॥ ३६ ॥ जो अफीम आदि अहित पदार्थ हैं उन्हें शरीरके अनुकूल होनेपर भी सेवन न करे, यदि उनको सेवनका अभ्यास हो तो क्रमसे त्यागदेवे । इसी प्रकार दुग्धादि हित पदार्थों का सेवन अनुकूल न होनेपर भी क्रमसे अभ्यास करे। यहां सेवन और त्यागके क्रमको दिखाते हैं जिस द्रव्यंको त्यागना या ग्रहण करना चाहे उसको एकचार ही त्यागना या ग्रहण करना उचित नहीं । जिसको त्यागना चाहे उसमें से प्रथम दिन एक अंश (छोटासा हिस्सा ) कम करदें दो दिन या चार दिन बीचम
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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