SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५८) चरकसंहिता-भा० टी० । उचित धूमपानके लक्षण . . . हृत्कण्ठन्द्रियसंशुद्धिलघुत्वंशिरसःशमः यथेरितानांदोषाणां सम्यक्पीतस्यलक्षणम् ॥ ३१ ॥. . . . उत्तम रीतिसे धूम्रपान किया-हृदय, कंठ, इंद्रिय इनकी शुद्धि करताहै और शिरम हलकापन लाताहै तथा संव दोषोंको चलायमान कर यथास्थानमें ठीक करदेताहे यह अच्छे धूमपानके लक्षण हैं ॥ ३१ ॥ __असमय धूमपानके उपद्रव । वाधिय॑मान्द्यंमकत्वरक्तपित्तंशिरोभ्रमम् । अकालेचातिपीतश्चधूमःकुर्य्यादुपद्रवान् ॥ ३२॥ अकाल धूमपान और अतिधूमपान कियाहुआ-बाधिर्य,जडता,मूकता, रक्तापितः । शिरमं चकर इन उपद्रवोंको पैदा करताहै ॥ ३२ ॥ उपद्रवशान्तिके उपाय। तत्रेष्टंसर्पिषःपानंनावनाञ्जनतर्पणम् । स्नेहिकंधमजेदोषेवायुः पित्तानुगोयदि ॥ ३३॥ शीतन्तुरक्तापत्तेस्थाच्छ्लेष्मपित्तविरूक्षणम् । परन्त्वतःप्रवक्ष्यामिधूमोयेषांविगर्हितः॥३४॥ धूम्रपानसे हुए उपद्रवोंको शांत करनेके लिये घी पिलाना, नस्य, अंजन, और तर्पण करना हित है।यदि धूमपानसे वात पित्त कुपित हों तो चिकनी क्रिया करनी चाहिये यदि रक्तपित्त कुपित हो तो शीतल क्रिया करनी और कफ पित्त कुपित हां तो रूक्ष क्रिया करना हित है । अब जिनको धूमपान न करना चाहिये उनको कहते हैं ॥ ३३ ॥ ३४ ॥ ___ धूमपानके अनाधिकारी। नविरिक्त पिवेधमनकृतेवास्तिकमणि । नरक्तीनविषणात्तों नशोचीनचगर्भिणी॥ ३५॥ दस्त करायेहुए मनुष्यको धूमपान न करना चाहिये तथा वस्तिकर्मके पीछे, रक्त विकारवाला, विषति, शोकातुर, गर्भवती स्त्री, यह सब धूमपान न करें ॥ ३५॥ नश्रमेनमदेनामेनपित्तेनप्रजागरे। नमछम्रिमतृष्णासुनक्षीणेनापिरक्षते ॥ ३६॥ नमद्यदुग्धेपीत्वाचनस्नेहनचमाक्षि- .
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy