SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५.) चरकसंहिता-भा० टी०। एवं वादिनभगवन्तमात्रेयसाग्नवेशउवाच । नैतानिभगवन्पञ्चकपायशतानिपूर्य्यन्ते । तानितानिह्येवाङ्गानिसंप्लवन्तेतेषुतेषुमहाकपायेष्विति ॥७७॥ तमुवाचभगवानात्रेयः। नैतदेवं बुद्धिमताद्रष्टव्यमग्निवेश ! एकोऽपिह्यनेकांसंज्ञांलभतेका -न्तराणिकुर्वन् । तद्यथापुरुपोबहूनांकर्मणांकरणेसमों भवति । स यद्यत्कर्मकरोतितस्यतस्यकर्मणः कर्तीकरणकार्यसंप्रयुक्ततत्तगौणनामविशेषेप्राप्नोति । तद्वदौषवद्रव्यमपिद्रष्टव्यम् । यदिचैकमेवकिञ्चिद्व्यमासादयामस्तथागुणयुक्तंयत्सर्वकर्मणांकरणेसमास्यात्कस्ततोऽन्यदिच्छेदुपधारयितु- . मुपदेष्टुंवाशिष्येभ्यइति ।। ७८ ।। इसप्रकार कहतेहुए आत्रेयभगवान्से अग्निवेश कहनेलगे हे भगवन् ! यह पांचसौ कपाय पूरे नहीं होसकते क्योंकि वही २ अंग और कषायोंमें भी हैं। जैसे मुलैठी । कई जगह कषायाम गिनीजाचुकी और अलग २ एक २ अंगसे ५०० कषाय पूर्ण करनेह फिर मुलैठोके पायको किनमें लियाजाय?उसीके अनेक जगह आनेसे गणना भी पूरी नहीं होती।७७॥यह प्रश्न सुनकर भगवान् आत्रेय कहनेलगे कि हे अग्निवेश! बुद्धिमानांको इसप्रकार कहना उचितनहीं क्योंकि एक वस्तुभी अलगरकार्याक करनेसे अनेकसंज्ञाको प्राप्त होती है। जैसे एकही पुरुष अनेक कमाको अलग २ करनेकी सामर्थ्य रखता है । फिर वह जिस २ समय जिस २ कामको करतौह उसरसमय उसीर कामको करनेवाला होनेसे उसी २ गौण नामको प्राप्त होता है । उसीप्रकार औषध भी अलग २ कार्य करते अलग २ नामांको प्राप्त होती हैं । यदि एक ही द्रव्य सव काम गुणकर्ता प्राप्त होजाय और रसीस सब कार्य सिद्ध होसकें तो फिर और द्रव्यांका अपने शिष्योंको उपदेश करना ही वृथा है ( सो इन ५० दशकाम एक २ कपाय अंगभूत होनेसे मधुयष्टी आदिको कहना ही था इन दशारको ही कपायत्व हैं । एक २ में दश २ होनेसे ५०० संज्ञा होगई ) ॥ ७८॥ अध्यायका उपसंहार । तत्र श्लोकाः । यतोयावन्तियैर्द्रव्येविरेचनशतानिषट् । उक्तानिसंग्रहेणेहतथैवैपांपडाश्रयाः ॥ ७९ ॥ रसालवणवर्जाश्चक
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy