SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९५ कुपकु जो धर्मसे प्रवास करता है -- धर्मसे दूर रहता है, जिसमें दोषोंका आवास रहता है और जो ईखके फूलके समान निष्फल तथा निर्गुण रहता है वह नग्न रूपमें रहनेवाला नट श्रमण है - साधु नहीं, नट है ।। ७१ ।। जे रायसंग जुत्ता, जिणभावणरहियदव्वणिग्गंथा । लहंति ते समाहिं, बोहिं जिणसासणे विमले । । ७२ ।। जो मुनि रागरूप परिग्रहसे युक्त हैं और जिनभावनासे रहित केवल बाह्यरूपमें निर्ग्रथ हैं -- नग्न हैं वे पवित्र जिनशासनमें समाधि और बोधि -- रत्नत्रयको नहीं पाते हैं । । ७२ ।। भावेण होइ णग्गो, मिच्छत्ताईं य दोस चइऊणं । पच्छा दव्वेण मुणी, पयडदि लिंगं जिणाणाए । । ७३ ।। मुनि पहले मिथ्यात्व आदि दोषोंको छोड़कर भावसे-- अंतरंगसे नग्न होता है और पीछे जिनेद्र भगवान्‌की आज्ञासे बाह्यलिंग -- बाह्य वेषको प्रकट करता है ।। ७३ ।। भावो हि दिव्वसिवसुक्खभायणो भाववज्जिओ सवणो । कम्ममलमलिणचित्तो, तिरियालयभायणो पावो ।। ७४ ।। भाव ही इस जीवको स्वर्ग और मोक्षके पात्र बनाता है। जो मुनि भावसे रहित है वह कर्मरूपी मैलसे मलिन चित्र तथा तिर्यंच गतिका पात्र तथा पापी है । । ७४ ।। खयरामरमणुयकरंजलिमालाहिं च संथुया विउला । चक्कहररायलच्छी, लब्भइ बोही सुभावेण ।। ७५ ।। उत्तम भावके द्वारा विद्याधर, देव और मनुष्योंके हाथोंके अंजलिसे स्तुत बहुत बड़ी चक्रवर्ती राजाकी लक्ष्मी और रत्नत्रयरूप संपत्ति प्राप्त होती है ।। ७५ ।। भावं तिविहपयारं, सुहासुहं सुद्धमेव णायव्वं । असुहं च अट्टरुद्दं, सुहधम्मं जिणवरिंदेहिं । । ७६ ।। भाव तीन प्रकारके जानना चाहिए -- शुभ, अशुभ और शुद्ध । इनमें आर्त और रौद्रको अशुभ तथा धर्म्य ध्यानको शुभ जानना चाहिए। ऐसा जिनेंद्रदेवने कहा है ।। ७६ ।। सुद्धं सुद्धसहावं, अप्पा अप्पम्मि तं च णायव्वं । इदि जिणवरेहिं भणियं, जं सेयं तं समायरह ।। ७७ ।। शुद्ध स्वभाववाला आत्मा शुद्ध भाव है, वह आत्मा आत्मामें ही लीन रहता है ऐसा जिन भगवान्ने कहा है। इन तीन भावोंमें जो श्रेष्ठ हो उसका आचरण कर ।। ७७ ।।
SR No.009545
Book TitleAshtapahuda
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages84
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy