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________________ आओ जीना सीन... सफलता (66) आओ जीना सीन... अफलता 60 स्वस्थ रहने का मंत्र तो बच्चो! आओ तुम्हे स्वस्थ और मस्त रहने का मंत्र बताती हूँ। हेल्दी बनने के तंत्र सिखाती हूँ। मैं भी छोटी थी पर हमेशा बीमार रहती थी, कभी सिरदर्द, कभी इतनी अशक्त रहती थी कि उठ भी नहीं सकती थी। परीक्षा में अच्छे मार्क्स भी नहीं मिले । कमजोरी रहती थी। मैं बहुत दुःखी थी, दवाइयां खाकर थक गई थी। मैं भी स्वस्थ और मस्त बनना चाहती थी। आखिर, ढूँढते-ढूँढते मुझे उ रास्ता मिला। सुखी, स्वस्थ और मस्त रहने का मंत्र मिला । शरीर स्वास्थ्य की कुंजी मिल गई और देखते देखते मैं रोगमुक्त हो गयी। दवाई छूट गई और अब स्वस्थ, मस्त रहकर सबको स्वस्थ बनने का राज बताती हूँ। मुझे जो मार्ग मिला वह कोई नई बात या जादू नहीं था । यह तो हमारी पुरानी विरासत है योगाभ्यास। यह आत्म विकास जगाती है। उन्नति के पथ पर ले जाती है, अपने साथ राष्ट्र का विकास भी करती बच्चो! एक बात को समझो। योग करना याने केवल आसन नहीं। योग संपूर्ण जीवन का कायाकल्प करता है। उसके लिए संपूर्ण जीवन ही यौगिक होना चाहिए। आज कल योग सीखते हैं, पर केवल आसन । एक घंटा योगाभ्यास और तेइस घंटे विरुद्ध वातावरण, भला योगाभ्यास क्या असर करेगा? इसलिए योग केवल आसन नहीं, योग एक जीवन-पद्धति है। इसे समझें और इसके साथ-साथ जीना सीखें। यह मेरी मंगल भावना है। शरीर के साथ मन को प्रशिक्षित करना जरूरी है। इसके लिए शरीर को समझना और मन को जानना भी जरूरी है। योग क्यों करना है? आजकल तो संपूर्ण विश्व में योग का आकर्षण है। अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होने का कारण है सर्वेक्षण । संशोधन द्वारा यह पता चला है कि योग से स्वास्थ्य प्राप्त होता है। व्यक्तित्त्व-विकास होता है। बीमारियां हो तो भाग जाती है, नई बीमारियां आती नहीं है। शरीर के साथ योग मन पर भी प्रभाव करता है। योग ही एक शास्त्र है जो शारीरिक, मानसिक, भावात्मक और सामाजिक अभ्यास भी सिखाता है। मानसिक शक्ति बढ़ने से कार्य अधिक स्फूर्ति से होते हैं। तनाव से मुक्ति मिलती है। रिलेक्सेशन मिलता है। हमारे शरीर में जितने भी तंत्र हैं, जैसे पाचनतंत्र, श्वसन तंत्र, नाड़ी तंत्र और स्नायु तंत्र सभी योग से प्रभावित होते हैं। अधिक स्फूर्ति से बनते हैं। जहां दवाइयां काम नहीं आती, योग वहां काम आता है। जो आपकी एकाग्रता, स्मरणशक्ति और स्थिरता बढ़ाएगा। राष्ट्रोन्नति का मार्ग एक है, योग साधना नित्य करें, वेद काल से गूंज रहा, DAANES ॐ कार ॐ कार Yoga ॐकार
SR No.009544
Book TitleAao Jeena Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlka Sankhla
PublisherDipchand Sankhla
Publication Year2006
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size6 MB
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