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________________ आओ जीना सीखें... SY योजना कैसी बनाएं? संकल्प को याद करो । आत्मचिंतन करो। अपनी क्षमता को पहचानो । स्कूल का समय केन्द्र में रखकर योजना बनाओ जैसे शुरुआत - कब उठना है? उठते ही प्रार्थना, संकल्प दोहराना अपना बिछौना ठीक करना...... आगे अपनी योजना - आसन, सूर्यनमस्कार करना । अभ्यास का समय निश्चित करना । खेल-कूद को समय देना । टी.वी. देखने का समय निश्चित करना । आ पको खुद को यह काम करना है। जना सुनिश्चित, सुनयवस्थित बनानी है। ज ल्दी उठना योजना में पहले लेना है। 20:00) 20:30 (21:00) 21:30 शुरुआत 22:00 22:30 23:00 23:30 सफलता 56 न कारात्मक भाव दूर रखकर आयोजन नियोजन करना है। निरीक्षण-परीक्षण खुद को करना है। यो ग्यता को जानना है। ज जब जरुरत पड़े योजना में बदलाव भी लाना है। न मस्कार करके दिन की करनी है। आओ जीना सीखें.... ★ अनुशासन बच्चो 'अनुशासन' बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। अनुशासन का पालन करनेवाला विकास के रास्ते पर गति से प्रस्थान करता है। अनुशासन से रास्ते के अवरोध खत्म हो जाते हैं। सफलता सहजता से प्राप्त होती है। गति प्रगति में बदल जाती है। उन्नति के पथ पर अग्रसर होने का राजमार्ग है अनुशासन । अनुशासन अपनी ध्येयपूर्ति का साधन है। व्यावहारिक भाषा में अनुशासन का अर्थ है नियंत्रण आध्यात्मिक भाषा में अनुशासन का अर्थ है संयम । अनुशासन से लाभ सहज प्राप्त होते हैं और यह लक्ष्यपूर्ति का सहज साधन है। - - अनुशासन हर कला की जननी है। जिसने अनुशासन को नहीं जानापहचाना, जीवन में हर जगह वह ठोकर खाता है। यह तो अमृत है, जो सब को जीवित रखता है। सफलता 51 गुरुदेव तुलसी कहते थे, यदि मनुष्य चाहता है, उसका वर्तमान अतीत से अच्छा हो, जीवन में अनुशासन और शासन हो, तो उसे विनय और अनुशासन को जीवन के साथ जोड़ना होगा। अनुशासन प्रत्येक देश एवं समाज की अमूल्य निधि है। हर क्षेत्र में अनुशासन का महत्त्व है। अनुशासन एक प्रकार का मानसिक स्वास्थ्य है, जो कार्यों की सुंदरता में प्रकट होता है। एक होता है शासन और दूसरा होता है अनुशासन । शासन कठोर भी हो सकता है। बाहरी दबाव से काम करने को विवश किया जाता है। इसे स्वतंत्रता का विरोधी समझा जाता है। इसे त्याज्य माना जाता है। इसे अच्छा नहीं समझा जाता। अनुशासन को हर दृष्टि से मान्यता है। अत्याचारी, मर्यादाहीन और उद्दंड को दण्ड दिया जाना आवश्यक है। अनुशासन का वास्तविक उद्देश्य है आत्मसंयम | आत्मसंयम अनुशासन की 'की' (चाबी) है। अनुशासन उचित हो, इसके लिए आवश्यक है खुद अनुशासित हों। जो खुद पर नियंत्रण कर सकता है, संयमित रह सकता है, वही अनुशासन रखने का हकदार होता है। इसलिए गुरुदेव ने मूलमंत्र दिया “निज पर शासन, फिर अनुशासन" अनुशासन करने वालों में दृढता, स्थिरता एवं नियमितता होना आवश्यक है।
SR No.009544
Book TitleAao Jeena Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlka Sankhla
PublisherDipchand Sankhla
Publication Year2006
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size6 MB
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