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________________ स्वयं को पठचानो (31) आओ जीना सीन... अच्छा इन्सान बनें आओ जीना सीन... स्वयं को पठचानो (30 सीरवने की कोई उम्र नहीं होती दृष्टि बदलो-सृष्टि बदलेगी, विचार बदलने से आचार बदलेगा, दूसरे को बदलने से पहले खुद को बदलो। तो बताओ, करने से क्या नहीं होता? इस बात की गहराई समझी? तो आओ बीती बातें भूलकर जागृत हो जाते हैं। नया अध्याय शुरु करते हैं। सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। कभी भी सीखना शुरू करो, हम अपने आप को बदल सकते हैं। बच्चो! मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो नर से नारायण बन सकता है। यह शक्ति उसमें है क्योंकि आत्मा ही परमात्मा है। अपनी आत्मा को जानो, पहचानो। अपनी विवेक और बुद्धि के द्वारा संकल्प आयोजन-नियोजन और पुरुषार्थ करो तो जो चाहो, जैसा चाहो, बन सकते हो। भगवान महावीर आज पढ़ना सब जानते हैं, पर क्या पढ़ना चाहिए, यह कोई नहीं जानता। -बर्नाड शॉ भगवान बुद्ध जीवन की सार्थकता... स्वामी रामतीर्थ जापान जा रहे थे। जिस जहाज पर वे सवार थे, उसी में अस्सी वर्ष का एक बूढ़ा जर्मन भी यात्रा कर रहा था वह चीनी भाषा सीख रहा था। इस भाषा में एक-एक शब्द के लिए एक-एक चित्र है। इसलिए इस भाषा को सीखने में बड़ी कठिनाई रहती है। सुबह का समय, जहाज के डेक पर बैठे हुए उस बूढ़े को भाषा सीखते देख स्वामी रामतीर्थ के मन में आश्चर्यमिश्रित जिज्ञासा पैदा हुई। स्वामीजी ने अपना संकोच दूर कर उससे पछा - 'आपको पता है कि चीनी भाषा सीखने में कम-से-कम आठ-दस वर्ष लग जाते हैं। आप की उम्र क्या हैं? यह भाषा पूरी तरह कब सीख पाएंगे आप?' बूढ़े जर्मन ने कहा - 'उम्र का हिसाब भगवान रखता होगा। मुझे तो काम से ही फुर्सत नहीं है। फिलहाल मेरा अस्सी वर्ष का अनुभव कहता है कि अभी तक नहीं मरा तो अभी और भी जी सकता हूँ।' फिर बूढ़े जर्मन ने स्वामी रामतीर्थ से पूछा-'तुम्हारी उम्र कितनी है?' स्वामी रामतीर्थ ने कहा- 'उम्र तो तीस वर्ष ही है। अब कुछ करने की सोच रहा हूँ।' अस्सी वर्षीय जर्मन ने कहा- 'तुम्हारा देश इसीलिए बूढ़ा हो गया, क्योंकि वहाँ ज्यादातर लोग कुछ भी नहीं करते, सिर्फ मौत की प्रतीक्षा करते हैं।' स्वामी रामतीर्थ ने लिखा कि वह बूढ़ा उसके बाद दस साल तक जीया और उसने चीनी भाषा में एक पुस्तक भी लिखी। मनुष्य जन्म मिलना ही भाग्य की बात है। भले हम भगवान न बनें, पर अच्छा इन्सान तो बन सकते हैं। अच्छा इन्सान ही आगे चलकर महान बन सकता है। हर कोई अपने जीवन में महान बनना चाहता है। आत्मा को समझने का अभ्यास करो और उसके ऊपर के राग, द्वेष, काम, क्रोध, मद-मत्सर, माया, आलस्य, लोभ, मोह, हटा दिये जाएँ तो आत्मा महात्मा बनती है। महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, बुद्ध, महावीर जैसे महान व्यक्तियों का जीवन पढ़ो और निश्चित करो कि आपको क्या बनना है? स्वामी विवेकानंद पढ़ना एक गुना, चिंतन दो गुना, आचार चौगुना - विनोबा भावे महात्मा गांधीजी
SR No.009544
Book TitleAao Jeena Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlka Sankhla
PublisherDipchand Sankhla
Publication Year2006
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size6 MB
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