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________________ २३ 'देवद्रव्य 'ना, तेना कार्यकर्ताओ द्वारा थता विनाशना अनेक दृष्टान्तो जैन इतिहासमांथी मळी आवे छे. तेथी वर्तमान समयमां मुंबईनी प्रान्तिक राजसत्ताए 'धर्मार्थद्रव्य'ना उपयोग अने संरक्षणनी दृष्टिये जे नूतन विधान करवानी योजना विचारी छे तेना लाभालाभना पक्षमां विचार करनारा वर्गे, आवी ऐतिहासिक घटनाओनुं पण तारण काढवुं जोईये अने ते उपरथी कर्तव्याकर्तव्यनुं आलोचन - प्रत्यालोचन करवुं जोईये. ज्यारथी जैनमन्दिरोनी सृष्टि उभी थई छे अने जैनमन्दिरोमां द्रव्यनी वृष्टि थवा लागी छे त्यारथी ए द्रव्यना रक्षण अने स्वामित्वनी चिन्ता देवमन्दिरोना कार्यवाहकोने सतावती आवी छे, ए वस्तु आवा ऐतिहासिक प्रसंगो उपरथी पण सिद्ध थाय छे, एटलुं ज अहिं प्रस्तुत वक्तव्यनुं तात्पर्य छे. ७. उदयप्रभसूरिनी अन्य प्रशस्ति-रचना वस्तुपालना सुकृतोनी प्रशंसा करनारी उदयप्रभसूरिनी रचेली बीजी एक प्रशस्ति उपलब्ध थाय छे जे उपर जणाव्या प्रमाणे 'सुकृतकीर्तिकल्लोलिनी' नामथी अंकित छे. महामात्य वस्तुपाले शत्रुंजयना आदिनाथना मुख्य मन्दिर आगळ स्थापत्यकलाना एक सुन्दरतम उदाहरणस्वरूप ‘इन्द्रमण्डप' नामे सभामण्डप बन्धाव्यो हतो तथा तेनी बे बाजुए पार्श्वनाथ अने महावीर जिनना बे सुशोभित चैत्यो कराव्यां हतां, तेमां स्थापित करवाना शिलालेखरूपे ए प्रशस्तिनी रचना करवामां आवी होय एम जणाय छे. विविध प्रकारना छन्दोमां रचाएलुं १७९ पद्योनुं ए एक सरस प्रशस्तिकाव्य छे, अने ते साथे वस्तुपालना वंश साधे संबन्ध धरावता इतिहासनुं प्रमाणभूत वर्णन करनार उत्तम प्रकारनो ऐतिहासिक प्रबन्ध पण छे. तदुपरान्त वस्तुपालनी स्तुति करनारा केटलांक मुक्तक पद्योना संग्रहस्वरूपनी एक अन्य स्तुति पण उपलब्ध थाय छे. ए बने कृतियो प्रस्तुत पुस्तकना परिशिष्टरूपे प्रकट थनार बीजा भागमां मुद्रित करवामां आवी छे. ८. संपादनना उपयोगमां लीधेली प्रतियो प्रस्तुत ग्रन्थना संपादनकार्यमां, संपादक मुनिवर्योए चार हस्तलिखित जूनी प्रतियोनो उपयोग कर्यो छे. तेमांनी त्रण प्रतियो ताडपत्रीय हती अने एक कागळनी हती. ताडपत्रीय प्रतियोमां सौथी विशिष्ट प्रकारनी जे प्रति छे ते खंभातना शान्तिनाथमन्दिरना ज्ञानभंडारनी छे. ए प्रति साक्षात् वस्तुपालनी ज लखावेली छे. वि. सं. १२९०मां वस्तुपाल ज्यारे स्तंभनतीर्थ एटले खंभातना प्रान्तपति तरीकेनो अधिकार भोगवतो हतो त्यारे लखवामां आवी हती. आ प्रतिना अन्तिम पृष्ठनी प्रतिकृतिनुं मुद्रितचित्र आ साथे मूकवामां आव्युं छे जेथी एना आकारप्रकारनो साक्षात् परिचय वाचकोने मळी शकशे. बीजी ताडपत्रीय प्रतियोमांथी एक पाटणना भंडारी हती अने एक वडोदराना भंडारनी हती. चोथी प्रति जे कागळ उपर लखेली छे ते पण
SR No.009540
Book TitleDharmabhyudaya Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages515
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
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