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________________ ( ५२ ) वाळ उगवाथी भाग्यवृद्धि थाय छे. आ प्रमाणे सामुद्रिक लक्षणोनां चिन्हो छे तेमांथी सारांश रुपे आ वर्णन करेलुं छे. पगनी रेखाओनी समज. डाबो पग. १ जेना पगमां परशु होय, ते शत्रु दलने मारनार शूरवीर थाय. २ जेना पगमां पद्म ( कमळ ) नुं चिन्ह होय, ते राजमान्य अने प्रतापी थाय. ३ जेना पगमां ध्वजानुं चिन्ह होय, ते माणस कीर्तिना विस्तारवाळो थाय. ४ जेना पगमां चतुष्कोण होय, ते माणस खाडाळो ( पैसानी उथलपाथल करनारो ) थाय. ५ जे माणसने उलटी उर्ध्व रेखा होय ते माणस कंगाल (गरीब) थाय. ६ जे माणसना पगमां आडा ऋण वा बे के अक होय तो ते माणस संपूर्ण, मध्यम के ओछा वाइन सुखवाळो थाय ७ जे माणसना पगमां छत्रनुं चिन्ह होय, ते राजवैभववाळो थाय. ८ जेना पगमां कळस चिन्ह होय, ते गंभीर, अने बहुश्रुत, तेमज म्होटा मनवाळो धनिक थाय. ९ जेना पगर्मा धनुष्य होय, ते माणस क्रूर, धनवान अने लडवैयो थाय. १० जेना पगमां गाय के वृषभ जेवुं चिन्ह होय ते आचार्य वा धर्मगुरु, किंवा अवतारी पुरुष थाय. ११ जेना पगमां माछलीनुं चिन्ह होय, ते माणस प्रदेशथी ( जल मार्गथी ) पैसो पेदा करनार श्रीमान् थाय. १२ जेना पगमां अष्टदल होय, ते माणस भमनारो, व्यसनी पण दयाळु थाय. "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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