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________________ ( ४४ ) जाणवो वराटी नामनी रेखा होय तो १६६२ ने बाद करवा, सुभद्रा नामनी रेखा हाय तो १६९३ बाद करवा, कुमुखी रेखा होय तो १६३८ बाद करवा, पांशुला रेखा होय तो १६७२ बाद करवा, विराट, विभुती नामनी रेखा होय तो १६४३ बाद करवा, अने जे शेष रहे ते बारथी वधारे होय तो १२ बाद करतां जे शेष रहे ते चैत्रादि मास जाणवो. तिथीज्ञान. साम्राज्य रेखा होय तो पडवो, कुमारीमां बीज, रमणीमां तीज जगतीमां चोथ धृतिनां पांचम, वासवीमां छठ, वैश्व देवीमां सातम, शीलगुण स्वरुपामा आठम. त्रिपदीमां नवमी, चिन्हयुक्त रमणीमां दशम, कुग्रहणीमां अगीआरस, महाराज्यप्रदमां बारश, सेना नित्वप्रदानां तेरश, शुद्ध त्रिपदीमां चौदश, तिलयुक्त वासवीमां अमावस्या अने गांधारीमां पुनम तिथी आवे. छे. आ प्रमाणे बरोबर रेखा ज्ञानथी निथी समजाय छे. बीजी पण केटलीक रेखाओ छे. उपर प्रमाणेज लगभग त्रीश प्रकारनी रेखाओ छे तेना ध्रुवांको उपरथी इष्ट काम पण जाणी शकाय छे. बहु विस्तार भयथी लख्युं नथी. जे मनुष्यनी हाथमां बे मच्छना सरखां चिन्ह होय तो ते सुखी, अन्नदान करनार अथवा सदाव्रत चलावनार के अन्नक्षेत्र बांधनार अने यज्ञ विगेरे शुभ काम करनार बने छे; वज्रनुं चिन्ह धनवानोने होय छे; अक मच्छनुं चिन्ह बुद्धिवान अने विद्वान के वक्ताओना हाथमां होय छे. शंख पालखी, घोडो, हाथी, छत्री, कमल अने सूर्यनी रेखावाळो मनुष्य राजा के महाराजा बने छे, कुंड, बाव, देवालय, त्रिकोण, सिंहासन अने चंद्रनुं चिन्ह होय ते धार्मिक होय छे. घणा, यज्ञो अने शुभ काम करे छे, चक्र, तरवार, फरशी, धनुष्य, तोमर, भालो विगेरे हथीआर जेवां चिन्हवालाओ क्षत्री लडवइया, सेनापति के सैन्यमां रही युद्ध करनार होय छे; ध्वजा ( वावटो ) मगर, कोठार, वाळा धनवान होय छे, पालखीनी चिन्हबाळा सुखी होय अने पालखी- गाडी घोडा विगेरेमां हंमेश बेसनार बने छे. "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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